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'परोपकारी' कारोबारी अजीम प्रेमजी, दुनिया में बनाई अलग पहचान

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, मंगलवार, 30 जुलाई 2019 (12:03 IST)
आईटी कंपनी विप्रो के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अजीम प्रेमजी आज रिटायर होने वाले हैं। अजीम प्रेमजी अपनी कंपनी को 53 साल तक संभालने के बाद कंपनी की कमान अपने बेटे रिशद प्रेमजी को सौंपेंगे। उनके बेटे रिशद प्रेमजी इस समय कंपनी के मुख्य रणनीति अधिकारी और निदेशक मंडल के सदस्य हैं। रिशद प्रेमजी कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन का पद 31 जुलाई से संभालेंगे। बताया जा रहा है कि अजीम प्रेमजी अपनी फर्म के नॉन एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर और संस्थापक चेयरमैन के रूप में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में साल 2024 तक बने रहेंगे।
 
अजीम प्रेमजी न केवल आईटी इंडस्ट्री के बिजनेस टायकून के रूप में प्रसिद्ध हैं बल्कि परोपकार के मामले में भी दुनिया में उनकी एक अलग पहचान है। मशहूर बिजनेसमैन के साथ ही वे परोपकार के मामले में देश में सबसे आगे रहने वाले उद्योगपति भी हैं। परोपकार के मामले में वे एशिया के नंबर 1 उद्योगपति हैं और इस मामले में दुनिया के टॉप 5 बिजनेसमैन में उनका नाम शामिल हैं।
 
कारोबार : विप्रो शुरुआत में साबुन और वेजिटेबिल ऑइल के कारोबार में थी, 1970 के दशक में अजीम प्रेमजी ने अमेरिकन कंपनी सेंटिनल कंप्यूटर कॉर्पोरेशन के साथ हाथ मिलाया। इसके बाद विप्रो ने कभी पीछे नहीं देखा। अजीम प्रेमजी ने 1980 में विप्रो को आईटी कंपनी के तौर पर प्रस्तुत किया। कंपनी पर्सनल कंप्यूटर बनाने के साथ सॉफ्टवेयर सर्विसेज भी प्रोवाइड कराने लगी।
 
द गिविंग प्लेज में शामिल होने वाले पहले भारतीय : 2013 में उन्होंने 'द गिविंग प्लेज' के जरिए अपनी आधी संपत्ति दान करने पर सहमति जताई और इसके तहत उन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के जरिए शुरुआत में ही करीब 2.2 अरब डॉलर दान कर दिए और भारत में शिक्षा पर फोकस किया।
 
प्रेमजी वॉरेन बफेट और बिल गेट्स के नेतृत्व में एक अभियान, द गिविंग प्लेज के लिए साइनअप करने वाले पहले भारतीय बने। परोपकार के इस क्लब में शामिल होने के लिए रिचर्ड ब्रैनसन और डेविड सैन्सबरी के बाद वे तीसरे गैर अमेरिकी हैं।
 
फाउंडेशन की स्थापना : अजीम प्रेमजी ने एक गैर-लाभकारी संगठन की स्थापना की, जो प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करता है। इसके जरिए भारत के 1.3 मिलियन सरकारी संचालित स्कूलों में व्यवस्था परिवर्तन की संभावना पर काम किया जा रहा है। उन्होंने भारत में स्कूली शिक्षा के लिए 2 अरब डॉलर दान करने का संकल्प लिया जो कि अपनी तरह का सबसे बड़ा दान था। मार्च 2019 में प्रेमजी ने अपने पास रखे हुए विप्रो के 34 फीसदी शेयर अजीम प्रेमजी फाउंडेशन में दे दिए जिनकी कीमत करोड़ों डॉलर में है।

जीवनी : अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई में हुआ था और उनका पूरा नाम अजीम हाशिम प्रेमजी हैं। पिता हाशिम प्रेमजी एक नामी बिजनेसमैन थे जिन्हें बर्मा के चावल किंग के तौर पर जाना जाता था। भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय जिन्ना ने उनके पिता हाशिम प्रेमजी से पाकिस्तान चलने को कहा, लेकिन उन्होंने भारत में ही रहना पसंद किया।
 
21 वर्ष की उम्र में संभाली पिता की विरासत : अजीम प्रेमजी के पास अमेरिका के कैलोफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री है जो इंजीनियरिंग की ग्रेजुएट डिग्री के बराबर मानी जाती है। अगस्त 1966 में उन्हें पिता की मृत्यु के बाद भारत वापस बुला लिया गया, उस समय उनकी उम्र 21 वर्ष थी। अजीम प्रेमजी ने अपनी पिता की विरासत को और आगे बढ़ाया।
 
सम्मानों फेहरिस्त :  
- अजीम प्रेमजी को साल 2005 में भारत सरकार ने व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
- साल 2011 में उन्हें पद्म विभूषण प्रदान किया गया जो भारत सरकार का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है.
- साल 2010 में अजीम प्रेमजी एशियावीक द्वारा दुनिया के 20 सबसे शक्तिशाली पुरुषों में से एक चुने गए थे।
- 2004 में और 2011 में टाइम मैगजीन के दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल हो चुके हैं।
- साल 2000 में उन्हें मणिपाल अकादमी ऑफ हायर एजुकेशन द्वारा मानद डॉक्टरेट दिया गया। 
- 2006 में अजीम प्रेमजी को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग, मुंबई द्वारा लक्ष्मी बिजनेस विजनरी का सम्मान मिला है। 
- 2009 में परोपकारी काम के लिए मिडलटाउन, कनेक्टिकट में वेस्लेयन विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया था। 
- 2013 में उन्हें ईटी लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला। 
- 2015 में मैसूर विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डॉक्टरेट प्रदान किया।
- अप्रैल 2017 में इंडिया टुडे पत्रिका ने उन्हें साल 2017 के भारत के 50 सबसे शक्तिशाली लोगों की लिस्ट में 9वां स्थान दिया था।

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