वडोदरा। बैंक कर्मचारियों के संगठन ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने नकदी संकट के लिए सरकार और रिजर्व बैंक को आज जिम्मेदार बताते हुए आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी। संगठन का कहना है कि बैंक शाखाओं तथा एटीएम में नकदी की कमी के कारण बैंक कर्मचारियों को लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है।
संगठन के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि सरकार और रिजर्व द्वारा पैदा किए गए संकट के कारण कर्मचारियों को लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि‘उपभोक्ता हमारे ऊपर चिल्ला रहे हैं और बिना गलती के भी बैंक कर्मचारियों को गुस्से का सामना करना पड़ रहा है।
खाली बयानों से कुछ नहीं होने वाला है। नकदी की आपूर्ति सही करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।’वेंकटचलम ने जल्दी ही स्थिति में सुधार नहीं होने पर कर्मचारी संगठनों द्वारा देशव्यापी आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी। हालांकि उन्होंने कोई स्पष्ट समय-सीमा नहीं बताया।
उन्होंने नकदी की अपर्याप्त आपूर्ति के लिए रिजर्व बैंक और सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद 2,000 रुपए के नोट छापने के निर्णय के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। उन्होंने कहा कि ‘यदि नकदी की जमाखोरी और काला धन रोकने के लिए 1000 रुपए के नेट बंद किए गए तो 2000 रुपए के नोट से यह दोनों काम आसान हो गया।’
उन्होंने पूछा कि रिजर्व बैंक गवर्नर ने बयान दिया कि पर्याप्त मात्रा में नोट छापे जा रहे हैं। फिर ये नोट जा कहां रहे हैं? क्या इसकी जांच नहीं की जानी चाहिए? क्या उन्हें यह सुनिश्चित नहीं करना चाहिए कि बैंकों के पास लोगों की जरूरतों की पूर्ति के लिए पर्याप्त नकदी हो?’
वेंकटचलम ने दावा किया कि नोटबंदी के 16 महीने के बाद भी एटीएम नए नोटों के अनुरूप नहीं किए जा सके हैं। उन्होंने कहा कि संसद की मंजूरी के लिए लंबित ‘वित्तीय समाशोधन एवं जमा सुरक्षा अधिनियम’ने भी समस्या को बढ़ाया है। उन्होंने सरकार से इस अधिनियम को तत्काल वापस लेने की मांग की। इस बीच एसबीआई ने दावा किया है कि हालात को कल तक सही कर लिया जाएगा। (भाषा)