नई दिल्ली। स्कूलों में भगवद् गीता की पढ़ाई अनिवार्य करने तथा ऐसा नहीं करने वाले संस्थानों की मान्यता रद्द करने की सिफारिश वाला एक निजी विधेयक संसद के अगले सत्र में चर्चा के लिए आ सकता है।
भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की तरफ से पेश विधेयक में कहा गया है कि भगवद् गीता के सुविचार और शिक्षाएं युवा पीढ़ी को बेहतर नागरिक बनाएंगी और उनके व्यक्तित्व को निखारेंगी।
भगवद् गीता को अनिवार्य बनाने संबंधी विधेयक में कहा गया है कि हर शैक्षणिक संस्थान को गीता को अनिवार्य रूप से नैतिक शिक्षा के रूप में पढ़ाना चाहिए लेकिन यह अल्पसंख्यक स्कूलों पर लागू नहीं होता। इसमें कहा गया है कि सरकार को ऐसे स्कूलों की मान्यता खत्म कर देनी चाहिए, जो इस विधेयक के प्रावधानों का पालन नहीं करेंगे।
लोकसभा में मार्च में पेश विधेयक में बिधूड़ी ने कहा कि समय आ गया है कि गीता की शिक्षाओं के प्रसार के लिए ईमानदारी से प्रयास किए जाएं। उनके मुताबिक यह काफी निंदनीय है कि इस तरह के महाकाव्य की हमारे शिक्षा संस्थानों द्वारा अनदेखी की जा रही जिसमें सभी उम्र वर्गों के लिए असंख्य शिक्षाएं हैं।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लागू करने के लिए सरकार को 5,000 करोड़ रुपए की व्यवस्था करनी होगी, साथ ही 100 करोड़ रुपए का गैर-आवर्ती खर्च भी आएगा।
लोकसभा के बुलेटिन में कहा गया है, राष्ट्रपति को विधेयक के मसौदे से अवगत करा दिया गया है तथा सदन से अनुशंसा की जाती है कि विधेयक पर संविधान के अनुच्छेद 117 (3) के तहत विचार किया जाए। संसद के अगले सत्र की तारीख अभी तय नहीं है। (वार्ता)