नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में भारत बंद के दौरान भड़की हिंसा में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हिंसा पूर्व नियोजित थी और कुछ संगठनों ने युवाओं को हथियारों के साथ ट्रेनिंग भी दी थी। आईजी इंटेलीजेंस मकरंद देऊस्कर ने राजधानी भोपाल में बातचीत में कहा है कि मध्यप्रदेश में बंद के दौरान हुई हिंसा की घटनाएं अकस्मात नहीं थीं।
इसके लिए बाकायदा पूर्व में साजिश रची गई थी। देऊस्कर ने बताया कि पुलिस के रडार पर 30 से 35 संगठन हैं। इन संगठनों की हिंसा में भूमिका की जांच हो रही है। पुलिस को पता चला है कि इनमें से कुछ संगठनों ने पहले से हिंसा भड़काने का प्लान बनाया था। युवाओं को हथियारों के साथ ट्रेनिंग दी गई थी। खुफिया रिपोर्ट में कुछ अफसरों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
माना जा रहा है कि सोमवार को 'भारत बंद' के दौरान हिंसक वारदातों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनका भी समर्थन था, हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी कोई भी अफसर इस बात पर बोल नहीं रहा है। एससी/एसटी कानून को नरम करने वाले सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सोमवार को आहूत 'भारत बंद' के दौरान मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में भड़की हिंसा में कुल 8 लोगों की जान गई थी।
ग्वालियर में 3, भिंड में 4 और मुरैना में 1 व्यक्ति की हिंसा में मौत हुई थी, वहीं ग्वालियर-चंबल अंचल में रात का कर्फ्यू जारी रखने का फैसला लिया गया है। पुलिस की चौकसी लगातार बनी हुई है। ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक डॉ. आशीष ने बताया कि ग्वालियर शहर के 3 और डबरा कस्बे में कर्फ्यू में ढील दी गई। इस दौरान किसी भी क्षेत्र में किसी तरह की न तो कोई अप्रिय घटना हुई और न ही ऐसी कोई सूचना आई है।
चंबल परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) संतोष कुमार सिंह ने बताया कि भिंड व मुरैना के कर्फ्यूग्रस्त इलाकों में पुलिस की चौकसी बनी हुई है, वहीं आरोपियों की गिरफ्तारी का दौर जारी है। हिंसा प्रभावित जिलों में सुरक्षा के मद्देनजर अतिरिक्त बल को तैनात किया गया है।
विशेष सशस्त्र बल की 16 कंपनियां, आरएएफ की 4 कंपनियां, एसटीएफ की 2 कंपनियों के अलावा नवप्रशिक्षित 550 उपनिरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) और नवप्रशिक्षित 3,000 आरक्षक तैनात किए गए हैं। सुरक्षाबल लगातार गश्त कर रहे हैं। (एजेंसी)