Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Study में बड़ा खुलासा, आधे से ज्यादा सैन्यकर्मी गंभीर तनाव में!

हमें फॉलो करें Study में बड़ा खुलासा, आधे से ज्यादा सैन्यकर्मी गंभीर तनाव में!
, शुक्रवार, 8 जनवरी 2021 (21:25 IST)
नई दिल्ली। भारतीय सेना किसी आतंकवादी या दुश्मन की गतिविधियों के कारण अपने उतने जवानों को नहीं खोती, जितने जवानों को वह हर साल आत्महत्या, सहकर्मियों की हत्या और अप्रिय घटनाओं की वजह खो रही है तथा आधे से अधिक सैन्य कर्मी गंभीर तनाव में प्रतीत होते है।

थिंक टैंक ‘यूनाइटेड सर्विसेस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया’ (यूएसआई) के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।यूएसआई के कर्नल एके मोर ने कहा, भारतीय सेना के जवानों का लंबे समय तक उग्रवाद व आतंकवाद विरोधी अभियानों में तैनात रहना तनाव का स्तर बढ़ने का एक प्रमुख कारक है।

अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय सेना के कर्मियों के बीच तनाव पिछले करीब दो दशक में काफी बढ़ गया है।यूएसआई की वेबसाइट पर पिछले माह अपलोड किए गए अध्ययन में कहा गया है, इस समय आधे से अधिक सैन्यकर्मी गंभीर तनाव में प्रतीत होते हैं।

इसमें कहा गया है, किसी दुश्मन की या किसी आतंकवादी गतिविधि के कारण भारतीय सेना ने अपने उतने जवानों की नहीं खोया, जितने जवानों को वह हर साल आत्महत्या, सहकर्मियों की हत्या और अप्रिय घटनाओं की वजह से खो रही है।

अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय द्वारा तनाव प्रबंधन के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों के क्रियान्वयन का पिछले 15 साल में वांछित परिणाम नहीं मिला है।

इसमें कहा गया है कि सैन्य अधिकारियों के बीच तनाव के बड़े संगठनात्मक कारकों में नेतृत्व गुणवत्ता की कमी, अत्यधिक प्रतिबद्धताओं का बोझ, अपर्याप्त संसाधन, तैनातियों एवं पदोन्नति में निष्पक्षता एवं पारदर्शिता का अभाव, रहने का उचित प्रबंध नहीं होना और अवकाश नहीं मिलना शामिल हैं।

जूनियर कमीशंड अधिकारी व अन्य रैंकों के कर्मियों में तनाव का कारण अवकाश नहीं मिलना और इसमें देरी होना, अत्यधिक काम, घरेलू समस्याएं, वरिष्ठों द्वारा अपमान, गरिमा का अभाव, मोबाइल के इस्तेमाल पर अनुचित प्रतिबंध और वरिष्ठों एवं कनिष्ठों के साथ टकराव आदि हैं।(भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

...तो टीकाकरण के बीच होगा 6 सप्ताह का अंतराल