रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा डेवलप की गई 21 'बाइक एंबुलेंस' सोमवार को नक्सली और उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में घायलों को निकालने के कार्यों के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में शामिल की गईं।
'रक्षिता' एम्बुलेंस (Rakshita Ambulance) डीआरडीओ के तहत आने वाले नाभिकीय औषधि तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान (आईएनएमएएस) द्वारा 350 सीसी रॉयल एनफील्ड क्लासिक को मॉडिफाई कर बनाया गया है।
सीआरपीएफ प्रमुख एपी माहेश्वरी ने कहा कि इन बाइक का इस्तेमाल वामपंथी अतिवाद प्रभावित राज्यों और उग्रवाद प्रभावित इलाकों में अर्द्धसैनिक बल के बीमार या घायल जवानों को निकालने के लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन एम्बुलेंसों का उस क्षेत्र के स्थानीय लोगों की मदद करने के लिए उपयोग किया जाएगा, जहां बल तैनात है।
सीआरपीएफ के प्रवक्ता ने बताया कि बाइक के पीछे बैठने वाली सीट को घायल या बीमार व्यक्ति के लिए सीट में तब्दील किया गया है। उन्होंने बताया कि इसमें हैंड इम्मोबिलाइज़र और हार्नेस जैकेट लगाई गई है। घायल या बीमार के महत्वपूर्ण मापदंडों को मापने के लिए चालक के डैशबोर्ड पर लगी एलसीडी के साथ निगरानी एवं स्वत: चेतावनी प्रणाली प्रदान की गई है।
प्रवक्ता ने कहा कि एम्बुलेंस में ऑक्सीजन किट और मरीज को सलाइन देने की सुविधा भी दी गई है। उन्होंने बताया कि बल ने इस परियोजना के लिए 35.49 लाख रुपए से अधिक की प्रारंभिक निधि मंजूर की है।
देश में नक्सल विरोधी अभियानों और आंतरिक सुरक्षा के लिए प्रमुख बल सीआरपीएफ को पहली बार फरवरी 2018 में तब बाइक एम्बुलेंस का विचार आया था जब छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में तैनात उसकी 85वीं बटालियन के जवानों ने दूरदराज से हताहतों को निकालने के लिए अपनी गश्त बाइक का इस्तेमाल किया। बल ने पूरी तरह से सक्षम और उपकरण-समर्थित बाइक एम्बुलेंस विकसित करने के लिए आईएनएमएस से संपर्क किया।
प्रवक्ता ने कहा कि आईएनएमएएस ने तुरंत इस विचार को वास्तविकता बनाने के लिए वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की एक टीम को लगा दिया। टीम ने एक प्रोटोटाइप विकसित किया और क्षेत्रों में तैनात सीआरपीएफ कर्मियों से प्राप्त फीडबैक के साथ उसे और बेहतर बनाया।
जाने-माने वैज्ञानिक और डीआरडीओ महानिदेशक (जीवन विज्ञान) एके सिंह भी यहां लोधी रोड पर सीआरपीएफ मुख्यालय में बाइक एम्बुलेंस सौंपने के लिए आयोजित कार्यक्रम में मौजूद थे।