Gujarat Elections 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव इस बार कई मायने में खास है। इस बार न सिर्फ भाजपा बल्कि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इतिहास रच दिया है। भाजपा ने जहां राज्य में सबसे ज्यादा सीटें जीतने का रिकॉर्ड बनाया है, वहीं कांग्रेस को इस बार सबसे कम सीटें मिली हैं, जो कि अपने आप में एक इतिहास है। इस बार भाजपा 150 सीटों के आंकड़े को पार करते हुए दिखाई दे रही है, जो गुजरात के इतिहास में किसी भी पार्टी का अब तक का सर्वाधिक स्कोर है।
यदि पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो भाजपा को 2002 में सबसे ज्यादा 127 सीटें मिली थीं। इस चुनाव में गुजरात दंगों के कारण भाजपा के पक्ष में साफ ध्रुवीकरण देखा गया था। 9वीं विधानसभा के लिए 1995 में हुए चुनाव में भी भाजपा ने अच्छी जीत दर्ज की थी, तब भगवा पार्टी 121 सीटें जीतने में सफल रही थी। वहीं 1998 और 2007 में भाजपा ने 117 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2017 में 14वीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में भाजपा का 1995 के बाद सबसे खराब प्रदर्शन था। इस चुनाव पार्टी को 99 सीटें ही मिल पाई थीं।
जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो यह उसका अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। कांग्रेस ने 1985 के चुनाव में सर्वाधिक 149 सीटों पर दर्ज की थी। हालांकि 1970 में भी कांग्रेस ने 140 सीटों पर जीत हासिल की थी, उस समय विधानसभा सीटों की संख्या 162 थी। 1962 से 1985 तक राज्य में कांग्रेस की ही सरकार रही। लेकिन, अगले चुनाव यानी 1990 में कांग्रेस 33 सीटों पर सिमट गई, जो उसकी सबसे बड़ी हार थी। तब जनता दल और भाजपा ने मिलकर सरकार बनाई थी।
कांग्रेस को 1995, 1998 और 2002 में क्रमश: 45, 53 और 51 सीटें मिली थीं। 2007 और 2012 में पार्टी ने अपने प्रदर्शन में थोड़ा सुधार करते हुए 59 और 61 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यही प्रदर्शन 2017 में और सुधरकर 77 सीटों तक पहुंच गया। लेकिन 2022 की कांग्रेस की हार गुजरात के चुनावी इतिहास में अब तक की सबसे बुरी हार है। इससे पहले कांग्रेस को कभी भी इतनी कम सीटें नहीं मिलीं।
आखिर क्यों बना यह इतिहास : विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले और बाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ताबड़तोड़ रैलियों का पार्टी को सबसे ज्यादा फायदा मिला। साथ ही 2017 के चुनाव से सबक लेते हुए पार्टी ने सही रणनीति पर भी काम किया। दूसरी ओर कांग्रेस में ऐसा कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आया, जिसके नाम पर वोट मांगे जा सकें। आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की मौजूदगी से भी कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ। क्योंकि जो वोट कांग्रेस को मिल सकते थे वे आप और ओवैसी की झोली में गिर गए।