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वक्फ कानून के फायदे बताने के लिए पसमांदा मुस्लिमों के बीच जाएगी भाजपा, वक्फ बोर्ड बनेगा पवित्र संस्था!

गरीब मुस्लिमों और महिलाओं के लिए उत्थान का कार्य करेगा नया वक्फ कानून: भाजपा

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विकास सिंह

, गुरुवार, 17 अप्रैल 2025 (14:03 IST)
संसद से वक्फ कानून बनने के बाद अब सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कानून को लेकर लड़ाई जा रही है। नए वक्फ कानून को रोकने और रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 70 से अधिक याचिका लगाई गई है जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीमकोर्ट ने नए कानून पर रोक लगाने की मांग को खारिज कर दिया है। वहीं वक्फ कानून को लेकर आज दूसरे दिन भी सुनवाई हो रही है। वहीं वक्फ कानून को लेकर सियासत भी लगातार गर्माती जा रही  है। पश्चिम बंगाल से  लेकर बिहार और उत्तर प्रदेश में वक्फ कानून पर जमकर राजनीति हो रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में वक्फ कानून को लागू करने से इंकार कर दिया है।

मुस्लिमों को कानून के फायदे बताएगी भाजपा-भाजपा वक्फ कानून के सहारे मुस्लिम समाज के उस वर्ग में अपनी पकड़ बनाना चाह रही है जो पिछडे और गरीब है, इस श्रेणी को पसमांदा मुस्लिम कहा जाता है। वक्फ कानून को लेकर अब भाजपा मुस्लिमों के बीच जाकर उन्हें कानून में किए गए संसोधन से उन्हें मिलने वाले फायदा को बताएगी।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम कहते हैं कि वक्फ बोर्ड का गठन ही गरीब, निर्धन, असहाय मुस्लिम समाज की मदद करने और उनके सामाजिक व आर्थिक उत्थान के लिए किया गया था, लेकिन कांग्रेस और उसके नेताओं ने वक्फ बोर्ड को अपने हित साधने का जरिया बना लिया था। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वक्फ कानून की कमियों को दूर करने के लिए संशोधन किया है। अब नया वक्फ कानून वक्फ बोर्ड को मजबूर नहीं मजबूत बनाए।

उन्होंने आगे कहा कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों से होने वाली आय को गरीबों, बेसहारा, निर्धन और मुस्लिम महिलाओं के शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के कार्यों में सही उपयोग हो गया तो यह एक बहुत पवित्र संस्था बन जाएगी। यह संस्था जरूरतमंदों की मदद के लिए काम करे, इसके लिए ही कानून में संशोधन किया है।इसके साथ ही वक्फ कानून को लेकर उन्होंने कहा कि पुराने कानून में किए गए संशोधन से होने वाले फयदे को हमें मुस्लिम समाज के लोगों को बताना होगा, ताकि वे इसका फायदा उठाकर विकास के पथ पर आगे बढ़ सकें।

पसमांदा मुस्लिमों पर भाजपा की नजर-पसमांदा समुदाय का दावा है कि भारत की पूरी मुस्लिम आबादी में उनकी हिस्सेदारी 80 फीसदी है और वह एक बड़ा वोट बैंक है। वहीं बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे सियासी रूप से बेहद अहम राज्य में पसमांदा मुस्लिमों की संख्या मुस्लिमों की कुल आबादी में 70 से 80 फीसदी है। वक्फ कानून में संशोधन कर भाजपा ने बिहार और बंगाल के पसमांदा मुस्लिम वोटर्स को साधने की कोशिश की है।

चुनावी राज्य बिहार में 2023 में हुए जातीय सर्वे के मुताबिक राज्य में मुस्लिमों की आबादी 17.7 है। जिसमें 27 फीसदी अगड़ी जाति के मुसलमान हैं, जबकि 73 फीसदी बैकवर्ड क्लास के हैं। यहीं 73 फीसदी बैकवर्ड क्लास के मुस्लिम जिन्हें पसमांदा मुस्लिम कहा जाता है, भाजपा की नजर वक्फ संशोधन बिल के बहाने इस वोट बैंक पर है। पिछले कई वर्षों से भाजपा की नजर इन्हीं पसमांदा मुस्लिमों पर टिकी है। बिहार में पसमांदा मुसलमान की संख्या 73 फीसदी बताती है कि बिहार की आगे की राजनीति में अगड़ी जाति के मुसलमानों के मुकाबले अब पसमांदा मुसलमानों का दबदबा न केवल बढ़ेगा, बल्कि उनको केंद्रित करके ही सियासी दलों की रणनीति बनेगी।

वहीं उत्तर प्रदेश जैसे सियासी रूप से अहम बड़े राज्य में पसमांदा मुसलमानों की संख्या 4 करोड़ से अधिक है। भाजपा को उत्तर प्रदेश में होने वाले 2027 विधानसभा चुनाव में पसमांदा मुसलमानों को साधकर भाजपा अपने वोट शेयर बढ़ाना चाह रही है। मुस्लिम समुदाय में पसमांदा मुसलमानों का वर्ग गरीब तबके से आते है और वह केंद्र औऱ राज्य की भाजपा सरकार की लाभार्थी योजना से प्रभावित था और उसने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के समर्थन में वोट दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार पसमांदा मुस्लिमों से बात करने और उनको पार्टी से जोड़ने पर जोर दे रहे है। पसमांदा मुसलमानों को आर्थिक रूप से मजबूत कर सरकार की योजनाओं का लाभ दिलवाकर भाजपा इस बड़े समुदाय को अपने साथ लाने की कोशिश में है। ऐसे में अब आने वाले समय में बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में विधानसभा चुनाव होने है तब वक्फ संशोन बिल क्या भाजपा के  लिए गेमचेंजर बनेगा यह आने वाला वक्त  ही बताएगा।

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