नई दिल्ली। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने लोगों में रक्त की कमी की बढ़ती समस्या के समाधान के लिए गेहूं की एक नई किस्म तथा संतृप्त वसा के सेवन से हृदय पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम करने के लिए सरसों की एक नई किस्म विकसित की है। संस्थान ने पिछले वर्ष धान, गेहूं, सरसों और दलहनों की 13 किस्में विकसित की जिनमें गेहूं की एक ऐसी किस्म है जो लोगों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी पूरा करेंगी तथा सरसों की एक किस्म का तेल हृदय रोग का प्रभाव कम करेगा।
वर्षों के अनुसंधान के बाद विकसित कनोला गुणवत्ता वाली सरसों की किस्म ' पूसा डबल जीरो सरसों 31' देश की पहली उच्च गुणवत्ता वाली किस्म है । इसमें तेल में पाए जाने वाले ईरुसिक अम्ल (संतृप्त वसा) की मात्रा दो प्रतिशत से कम तथा खली में पाए जाने वाली ग्लूकोसिनोलेट्रस की मात्रा 30 पीपीएम से कम है कि मानव एवं पशु स्वास्थ्य के अनुकूल है।
अधिक मात्रा में संतृप्त वसा के सेवन से हृदय पर इसका प्रतिकूल असर होता है। संस्थान की निदेशक रविन्दर कौर ने बताया कि इस संस्थान के शिमला केन्द्र ने गेहूं की एचएस 562 किस्म विकसित की है जिसमें सूक्ष्म पोषक तत्व - लौह 38.4 पीपीएम और जस्ता 34.5 पीपीएम है। लौह तत्व की कमी से लोगों में खून की कमी होती है और एनीमिया की बीमारी हो जाती हैं। यह किस्म उच्च गुणवत्ता वाली रोटी और ब्रेड बनाने के लिए उपयुक्त है।