नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के कर्मचारी संगठन ने गुरुवार को भारत नेट परियोजना के तहत बिछाई गई 2.86 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर के साथ-साथ उसके और एमटीएनएल के 14,917 मोबाइल टावर को बाजार में चढ़ाने (मौद्रीकरण) की सरकार की योजना का विरोध किया।
संगठन ने देशभर में कर्मचारियों से शुक्रवार को दोपहर भोजनावकाश के समय विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। बीएसएनएल के कर्मचारी संगठन ने आरोप लगाया कि कंपनियों को मोबाइल टावर की बिक्री की योजना बीएसएनएल तथा एमटीएनएल के निजीकरण की शुरूआत है।
श्रमिक संगठन ने कहा कि अगर इन संपत्तियों को बाजार में चढ़ाने की अनुमति दी गई, तो सरकार का अगला लक्ष्य सात लाख किलोमीटर के ऑप्टिक फाइबर मार्ग का मौद्रीकरण होगा। बीएसएनएल श्रमिक संगठन ने कहा, राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) के नाम पर सरकार ने राष्ट्रीय संपत्ति औने-पौने दाम पर कंपनियों को सौंपने का फैसला किया है।
संगठन के अनुसार, सरकार ने यह दलील दी है कि इन संपत्तियों का मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा। यह कुछ और नहीं, बल्कि जहर की मीठी गोली है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए सरकारी संपत्तियों को बाजार पर चढ़ाने की योजना एनएमपी पेश की है।
इसके तहत, सरकार ने भारत नेट फाइबर संपत्ति तथा बीएसएनएल और एमटीएनएल के 14,917 मोबाइल टावर के मौद्रीकरण के जरिए 35,100 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बनाई है। श्रमिक संगठन ने कहा, कंपनियों को मोबाइल टावर सौंपने से बीएसएनएल और एमटीएनएल को बड़ा झटका लगेगा। अब यह स्पष्ट हो गया है कि मोदी सरकार पिछले एक साल आठ महीने से बीएसएनएल की 4जी सेवा शुरू करने के रास्ते में क्यों रोड़े अटका रही है।
संगठन ने आरोप लगाया, इसका कारण सरकार ने बीएसएनएल के मोबाइल टावर को बेचने का मन बना लिया है। अगर इसकी अनुमति मिली तो सरकार का अगला लक्ष्य बीएसएनएल का सात लाख किलोमीटर लंबा ऑप्टिक फाइबर मार्ग बेचने का होगा।
उसने कहा कि कर्मचारी संगठन राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन के नाम पर राष्ट्र की संपत्ति कंपनियों को देने का पुरजोर विरोध करता है और इसे रोके जाने की मांग करता है। संगठन ने बीएसएनएल के कर्मचारियों से देशभर में शुक्रवार को दोपहर भोजनावकाश के समय विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया।(भाषा)