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BSNL और MTNL को जानबूझकर कमजोर कर रही है केंद्र सरकार : कांग्रेस

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, रविवार, 1 दिसंबर 2019 (16:52 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस ने सरकार पर निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों के फायदे के लिए काम करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वह जानबूझकर सार्वजनिक क्षेत्र की भारत संचार निगम लिमटेड (BSNL) तथा महानगर टेलीफोन नगर लिमिटेड (MTNL) को कमजोर कर रही है।
 
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने रविवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार का लक्ष्य सिर्फ निजी क्षेत्र को फायदा पहुंचाना रह गया है और इसके लिए सरकारी क्षेत्र की कंपनियों को जानबूझकर कमजोर करने का उपक्रम कर रही है। 
 
उन्होंने कहा कि बीएसएनएल पूरे देश में उपभोक्ताओं की सेवा कर रही हैं। एमटीएमएल महानगरों में दूरसंचार देने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की एक मात्र प्रमुख कंपनी रही है, लेकिन आज यह दोनों कंपनियां घाटे में चल रही हैं। इस सरकार ने इन दोनों कपंनियों को जान-बूझकर कमजोर किया है। संप्रग के समय ये दोनों कंपनियां 8 हजार करोड़ रुपए के मुनाफे में थीं, लेकिन आज 11228 करोड़ रुपए के घाटे में चल रही हैं।
 
प्रवक्ता ने कहा कि टेलीफोन क्षेत्र महत्वपूर्ण है और हर आदमी की जिंदगी से जुड़ा है। संप्रग के समय देश में 13 ऐसी कंपनियां थीं, जो दूरसंचार क्षेत्र में अपनी संवाएं दे रही थीं। उस समय प्रतिस्पर्धा थी जिसका लाभ देश के लोगों को मिल रहा था। निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा थी। डेटा भारतीय उपभोक्ता दुनिया में सबसे सस्ती थी, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। देश में दूरसंचार क्षेत्र की सिर्फ तीन निजी कंपनियां रह गई हैं। एमटीएमएनएल तथा बीएसएन पहले ही खत्म कर दी गई है।
 
खेड़ा ने कहा कि संप्रग के समय देश का आम उपभोक्ता मोबाइल सेवा का पूरा लाभ उठा रहा था। दूरसंचार कंपनियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा थी, लेकिन अब सिर्फ निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियां रह गई हैं। इन निजी क्षेत्र की कंपनियों को बडा फायदा पहुंचाने के लिए सरकार सभी तरह के प्रयास कर रही है।
 
उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र की कंपनियों की सबसे ज्यादा सेवाएं उपभोक्ता ले रहे हैं। इस तरह से देश की 120 करोड़ की आबादी अगर एक माह में औसतन सौ रुपए भी कॉल पर खर्च करती है तो हर माह निजी क्षेत्र की कंपनियों को इससे 12 हजार करोड़ का फायदा हो रहा है। इसी तरह से डाटा से औसतन 24 हजार करोड़ का लाभ निजी कंपनियों को पहुंचाया जा रहा है।
 
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार इन कंपनियों पर कितना मेहरबान है इसके लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश का भी उल्लंघन किया गया है। इन निजी कंपनियों ने सरकार को 1 लाख 47 हजार करोड़ देना था और न्यायालय के आदेश के अनुसार जनवरी 2020 तक उन्हें सरकार को सारा पैसा लौटाना था, लेकिन सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय लेकर इन कंपनियों को दो साल की मोहलत दे दी।
 
उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों को फायदा देने के लिए सरकार आंख मूंदकर काम कर रही है और सरकारी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। यह सरकार 5जी की बात करती है, लेकिन उसने BSNL तथा MTNL को पांच साल तक 4जी सेवा उपलब्घ कराने का मौका नहीं दिया। अब उसे 4जी देने की बात की जा रही है लेकिन उसे बताना चाहिए कि सरकारी कंपनियों के साथ 5 साल तक सौतेला व्यवहार क्यों किया गया। (वार्ता)

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