नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि पिछले साल कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी के दौरान भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र की प्रतिष्ठा बढ़ी है और अग्निपरीक्षा में सफलता के साथ दुनिया में इसको लेकर विश्वास कई गुणा बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि अब स्वास्थ्य सेवा को किफायती बनाने और इसकी सुलभता को अगले स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है।
मोदी ने स्वास्थ्य क्षेत्र में केंद्र के बजट प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटित किया गया बजट अब असाधारण है और यह इस क्षेत्र के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार का ध्यान केवल इलाज पर नहीं बल्कि आरोग्य पर है। रोकथाम से लेकर ठीक होने तक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा को किफायती बनाने और इसकी सुलभता को अगले स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है, जिसके लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत को स्वस्थ बनाए रखने के लिए सरकार चार मोर्चों पर एकसाथ काम कर रही है- बीमारी की रोकथाम एवं स्वास्थ्य को बेहतर बनाना, सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सुनिश्चित करना, स्वास्थ्य सेवा संबंधी बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता एवं संख्या में बढ़ोतरी और समस्याओं से पार पाने के लिए मिशन मोड में काम करना।
मोदी ने कहा कि बीता वर्ष एक तरह से देश-दुनिया, पूरी मानव जाति और खास करके स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक प्रकार से अग्निपरीक्षा की तरह था। मुझे खुशी है कि देश का स्वास्थ्य क्षेत्र इस अग्निपरीक्षा में सफल रहा। अनेकों की जिंदगी बचाने में हम कामयाब रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ महीनों के भीतर ही देश में करीब ढाई हज़ार प्रयोगशालाओं का नेटवर्क खड़ा हो गया, कुछ दर्जन जांच से हम आज करीब 21 करोड़ जांच के पड़ाव तक पहुंच पाए, ये सब सरकार और निजी क्षेत्र के साथ मिलकर काम करने से ही संभव हुआ है।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस ने ये सबक दिया है कि हमें सिर्फ आज ही महामारी से नहीं लड़ना है बल्कि भविष्य में आने वाली ऐसी किसी भी स्थिति के लिए भी देश को तैयार करना है। इसलिए स्वास्थ्य से जुड़े हर क्षेत्र को मजबूत करना भी उतना ही आवश्यक है।
मोदी ने कहा कि चिकित्सा उपकरण से लेकर दवाइयां, वेंटिलेटर, टीका, वैज्ञानिक अनुसंधान, निगरानी ढांचा, डॉक्टर, महामारी विशेषज्ञ तक सभी पर ध्यान देना है ताकि देश भविष्य में किसी भी स्वास्थ्य आपदा के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री- आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के पीछे मूलत: यही प्रेरणा है। इस योजना के तहत रिसर्च से लेकर जांच और उपचार तक देश में ही एक आधुनिक इकोसिस्टम विकसित करना तय किया गया है। यह योजना, हर क्षेत्र में हमारी क्षमताओं में वृद्धि करेगी।
मोदी ने कहा कि 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें स्वीकार करने के बाद स्थानीय निकायों को स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्थाओं के लिए 70 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त धन मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार का जोर सिर्फ स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश पर ही नहीं है बल्कि देश के दूर-दराज वाले इलाकों तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाने का भी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र की ताकत को देखा है और इस क्षेत्र में भारत का सम्मान बढ़ा है। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र ने जो मजबूती दिखाई है उसे दुनिया ने बहुत बारीकी से नोट किया है। आज पूरे विश्व में भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र की प्रतिष्ठा है और भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र पर भरोसा, एक नए स्तर पर पहुंचा है।
मोदी ने कहा कि हमें इस भरोसे को ध्यान में रखते हुए भी अपनी तैयारियां करनी हैं। आने वाले समय में भारतीय डॉक्टरों, नर्सों, पैरा मेडिकल कर्मचारियों की मांग पूरी दुनिया में बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दौरान भारतीय दवाइयों और भारतीय टीके ने एक नया भरोसा हासिल किया है। इनकी बढ़ती मांग के लिए भी तैयारी करनी होगी। आगामी दिनों में दुनिया के और देशों से भी चिकित्सा शिक्षा के लिए, भारत में पढ़ाई करने के लिए विद्यार्थियों के आने की संभावना भी बढ़ने वाली है।
उन्होंने कहा कि टीबी को खत्म करने के लिए भारत ने 2025 तक का लक्ष्य रखा है। टीबी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि यह बीमारी भी संक्रमित व्यक्ति के खांसने-थूकने से निकलने वाले कण से ही फैलती है। टीबी की रोकथाम में भी मास्क पहनना, रोग का जल्द पता लगाना और उपचार महत्वपूर्ण हैं।
मोदी ने कहा कि कोरोना काल में आयुष से जुड़े नेटवर्क ने भी बेहतरीन काम किया है। ना सिर्फ मानव संसाधन के संबंध में बल्कि प्रतिरक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान को लेकर भी आयुष का ढांचा देश के बहुत काम आया है। देश की पारंपरिक औषधियों ने भी विश्व मन पर अपनी एक जगह बनाई है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में हर साल दिमागी बुखार से हजारों बच्चों की मौत के मामलों का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि संसद में भी उसकी चर्चा होती थी। एक बार तो इस विषय पर चर्चा करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) रो पड़े थे। लेकिन जब से वह राज्य के मुख्यमंत्री बने, उन्होंने कदम उठाया। अब उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं। हमने दिमागी बुखार को फैलने से रोकने पर जोर दिया, इलाज की सुविधाएं बढ़ाईं तो इसका अब असर भी दिख रहा है। सरकार ने 2021-22 के बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 2 लाख 23 हजार 846 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।