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बुराड़ी में 11 लोगों की मौतों के बाद भी रहस्य बरकरार, फिर चर्चा में आया 'तंत्र मंत्र'

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नई दिल्ली , गुरुवार, 5 जुलाई 2018 (19:49 IST)
नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में हुई घटना का रहस्य अभी भी बना हुआ है कि परिवार के 11 सदस्यों की मौत क्यों और कैसे हुई। इसमें 'तंत्रमंत्र' का संदेह जताया जा रहा है, जो कि देश के कई हिस्सों में अभी भी प्रचलित है जिसमें मानव बलि जैसी विचित्र प्रथाएं शामिल होती हैं। इनमें से कई मामले बच्चों की बलि से संबंधित रहे हैं।


उदाहरण के लिए गत महीने राजस्थान के एक व्यक्ति ने स्वीकार किया कि उसने रमजान के दौरान अल्लाह को खुश करने के लिए अपनी बेटी का गला काट दिया। जनवरी 2016 में छत्तीसगढ़ के रहने वाले एक पिता ने स्वीकार किया कि उसने ‘अपने परिवार की भलाई’ के लिए अपने पुत्र का सिर काट दिया। कई ऐसे मामले सामने आते हैं, जिसमें महिलाओं को 'चुड़ैल' होने के संदेह में प्रताड़ित किया जाता है।

एक अभिभावक अपने बच्चे को कैसे मार सकता है? कोई एक परिवार आत्महत्या के लिए कैसे तैयार हो सकता है? विशेषज्ञों के अनुसार धार्मिक और आध्यात्मिक प्रभाव जीवन के निर्णयों को सामान्य स्थिति से आगे प्रभावित कर सकते हैं।’ दिल्ली स्थित मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) के निदेशक निमेष देसाई ने कहा, ‘धार्मिक एवं आध्यात्मिक प्रभाव में जीवन के कई निर्णय प्रभावित होते हैं, विशेष तौर पर हमारे जैसी संस्कृति में। इनमें से कुछ परिवर्तन चरम सीमा के होते हैं, जिनसे स्वयं या अन्य को नुकसान होता है।’

फेडरेशन ऑफ इंडियन रेशनलिस्ट एसोसिएशन (एफआईआरए) के अध्यक्ष नरेंद्र नायक ने कहा कि बलि का विचार धार्मिक और तंत्रमंत्र के लिए कोई नया नहीं है। इसमें विश्वास करने वालों का कहना है कि ‘बलि जितनी बड़ी होगी, परिणाम उतना अधिक होगा।’

बुराड़ी मामले में परिवार के 10 सदस्य फंदे से लटके मिले थे जबकि 11 वां सदस्य जो कि परिवार की सबसे वृद्ध सदस्य थी, वह अन्य कमरे में मृत मिली थी। नायक ने कहा कि बुराड़ी मामले में उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह स्पष्ट है कि पीड़ित व्यक्तियों में से एक या अधिक सदस्यों में पुनर्जन्म को लेकर दृढ़ मान्यता थी।

पुलिस का कहना है कि मृत व्यक्तियों की आंखों पर पट्टी बंधी थी, कुछ के हाथ बंधे थे, नोट मिला था जिसमें मोक्ष प्राप्त करने के लिए कदम बताये गए थे, यह मामला इस ओर इशारा करता है कि पूरे परिवार ने आध्यात्मिक या रहस्यमय प्रक्रियाएं अपनायी।’ तर्कवादी नरेंद्र डाभोलकर की पुत्री मुक्ता डाभोलकर ने कहा कि महाराष्ट्र और असम को छोड़कर विधिक रूपरेखा की कमी के चलते ऐसे कृत्यों पर रोक के लिए कदम लगभग नहीं उठाये जा सके हैं। नरेंद्र डाभोलकर की अगस्त 2013 में हत्या कर दी गई थी।

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