प्रिय दिवंगत,
घाटी में सुरक्षा बलों के नेतृत्व में की गई कार्रवाई में आपकी मृत्यु के साथ 23 और लोग मारे जा चुके हैं। मुझे नहीं पता कि इन लोगों की मौत क्यों हुई? संभवत: इनमें से ज्यादातर आपकी मौत से दुखी और नाराज थे और वे आपकी मौत का बदला लेना चाहते थे। कुछ स्पष्ट कारणों से ऐसा नहीं हुआ, लेकिन एक पुलिसवाला अपने वाहन के साथ नदी में फेंक दिया गया जिससे उसकी मौत हो गई।
यह पत्र पूर्व सैन्य अधिकारी मेजर गौरव आर्य ने लिखा है। उन्होंने लिखा है- मैं आपके परिजनों और उन सभी लोगों के परिजनों के शोक में शामिल हूं जिनकी जान चली गई है। भले ही आप हमारे लिए कितने ही घृणित क्यों न रहे हों, लेकिन मेरे दिल में इसके लिए आपके परिजनों का कोई दोष नजर नहीं आता है।
आप एक डॉक्टर, इंजीनियर, एक वास्तुविद या फिर एक सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर बन सकते थे, लेकिन आपका भाग्य आपको सोशल मीडिया की ऐसी लुभावनी दुनिया में खींच ले गया जिसने आपको तुरंत ही प्रसिद्धि और सभी कुछ शामिल करने वाली ख्याति दिलाई। आपने अपने 'भाइयों' के साथ इंटरनेट पर वे तस्वीरें पोस्ट कीं जिसमें सभी युवा रैम्बोज के हाथों में असॉल्ट राइफल और रेडियो सेट्स थे। यह किसी हॉलीवुड फिल्म की तस्वीर नजर आई। आपकी राइफल के फायर सलेक्टर स्विच को 'सेफ' कर दिया गया था और आपकी गन आपके कंधों पर झूल रही थी। मुझे पता है कि आपको ऐसे मामलों में सलाह देने में बहुत देर हो चुकी है, लेकिन ऑपरेशन के क्षेत्र में रहते हुए कभी ऐसा मत करना।
जब आपने सोशल मीडिया पर अपने तूफानी अभियान की शुरुआत की तब तक आपकी मृत्यु हो चुकी थी। आपने कश्मीर के युवाओं को भारतीय सैनिकों को मारने के लिए प्रेरित किया, लेकिन यह सब फेसबुक अकाउंट पर होने के कारण सुरक्षित था। आपकी महिला प्रशंसक भी बेसुध सी थीं और आप सोशल मीडिया पर एक अनियंत्रित हिंसा का प्रतीक बनकर उभरे। लेकिन आपसे पूरी तरह अनजान संभवत: कुछ कम्प्यूटरविद एक्सवी कॉर्प्स के मुख्यालय में एक लैपटॉप पर बैठे थे और आप पर चौबीसों घंटे निगरानी रख रहे थे।
आप मात्र 22 वर्ष की आयु में दिवंगत हो गए। अगर आप इस ऑपरेशन में बच जाते तो शायद आपकी मृत्यु 23 वर्ष की आयु में होती। इसमें कैलेंडर की एक तारीख का अंतर है और इससे ज्यादा कुछ नहीं। तब भी हिंसा की गहनता और परिणाम लगभग ऐसा ही होता।
मेरी इच्छा है कि मैं आपसे मिला होता और आपकी मौत से पहले यह समझाने की कोशिश करता कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के बूढ़े नेता जौंक से कम नहीं हैं जो कि आदमियों के खून पर पलते हैं। वे युवा कश्मीरियों को भारतीय सेना का मुकाबला करने के लिए भेज देते हैं। यह कैसी लड़ाई है जिसमें शेरों के सामने मेमनों को आगे कर दिया जाता है?
ऐश कर रही हैं अलगाववादी नेताओं की औलादें, मर रहा है आम कश्मीरी... पढ़ें अगले पेज पर...
मैं आपको हुर्रियत के इन नेताओं के दोगलेपन को बताता कि इनके बेटे विदेशों में पेशेवर शिक्षा पाते हैं और उन्हें कभी भी जिहाद के लिए नहीं भेजा जाता है। आप मुझे सैयद अली शाह गिलानी के एक भी संबंधी का नाम बता दें जो कि तथाकथित 'भारतीय कब्जे' को लेकर लड़ रहा हो?
उनका बेटा नईम गिलानी रावलपिंडी में एक डॉक्टर है और आईएसआई के संरक्षण में रह रहा है। उसका दूसरा बेटा दक्षिण दिल्ली में रहता है। मीरवाइज उमर फारूक की बहन राबिया अमेरिका में एक डॉक्टर है। कटट्रपंथी दुख्तरान-ए-मिल्लत की प्रमुख आसिया अंदराबी की बहन मरियम अंदराबी अपने परिवार के साथ मलेशिया में रहती है। प्रत्येक कश्मीरी अलगाववादी नेता की बेटी या बेटा कश्मीर के बाहर सुरक्षित और सम्पन्न है। लेकिन जिहाद का काम दूसरों के बेटों के जिम्मे सौंप दिया गया है। लेकिन आपके पिता का बेटा तो मर चुका है। पूरी 7.62 मिमी की मेटल जैकेट से बनी गोली लगने से मारा गया।
कश्मीर के युवा और अशांत लोग उन्हें मारने के लिए सुरक्षा बलों को दोष देते हैं। लेकिन ये लोग कभी भी हुर्रियत पर सवाल नहीं उठाते हैं? कोई भी सैयद अली शाह गिलानी से यह क्यों नहीं पूछता है कि बुरहान वानी उनके परिवार से क्यों नहीं था? जब कश्मीर के लोगों ने पाकिस्तान के साथ मिलकर ईद मनाई तो पाकिस्तानी मीडिया बड़ा गद्गद् था और कश्मीरियों ने शेष भारत के साथ ईद नहीं मनाई। इसे भारत की एकता के लिए एक बड़ा धक्का बताया गया था। उल्लेखनीय है कि इस्लाम के 1400 वर्ष के इतिहास में ईद की घोषणा शव्वाल का चांद देखकर नहीं की गई थी वरन यह सब पाकिस्तान की ओर देखकर की गई थी।
वास्तव में हुर्रियत का कश्मीरियों से कोई लेना-देना नहीं है। यह अशांति और हिंसा एक अलग ही किस्म का धंधा है। अगर ऐसा नहीं होता तो मैं तथाकथित शहीदों की सूची में हुर्रियत के नेताओं के परिजनों के नाम देख सकता था। हुर्रियत को यह बात अच्छी तरह पता है कि कश्मीर दुनिया की नजरों से ओझल है, दुनिया के नक्शे पर से गायब है। कोई भी इस पर ध्यान नहीं देता है और हरेक को यह बात अच्छी तरह पता है कि यह नकली तरीकों से पैदा किया गया संघर्ष है। हालांकि कश्मीर को लेकर कोई विवाद नहीं है, लेकिन भारतीय फौजों को घाटी में उलझाए रखने के लिए पाकिस्तान इस विवाद को हवा दे रहा है।
आप एक आतंकवादी थे और आपने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा था। जैसा कि अतीत में अन्य सभी आतंकवादियों के साथ हुआ है, आपके साथ ही वैसा ही हुआ। जब आप भारतीय सेना के खिलाफ युद्ध करने का चयन करते हैं तो यह भलीभांति जान लें कि वे आपको मार डाले बिना छोड़ेंगे नहीं।
खुशियां मनाओ !!
मेजर गौरव आर्य (सेवानिवृत)