श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को उस समय करारा झटका लगा जब सुरक्षा बलों ने आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन का प्रमुख चेहरा बन चुके 21 साल के बुरहान मुजफ्फर वानी और उसके दो साथियों को एक मुठभेड़ में मार गिराया। बुरहान वानी की हत्या के बाद श्रीनगर में कर्फ्यू जैसी बंदिशें लगाई गई है।
पाकिस्तान समर्थक हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी ने बुरहान की मौत के विरोध में आज बंद का ऐलान किया है। सुरक्षा एजेंसियां भी घाटी में कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी होने की आशंका को देखते हुए तैयारियों में जुट गई हैं। पुलवामा, अनंतनाग और शोपियां में बढ़े तनाव की वजह से कर्फ्यू लगा दिया गया है। गंभीर स्थितियों को देखते हुए बारामुला-काजीगुंड के बीच ट्रेन सेवाएं भी रद्द कर दी गई हैं।
जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के. राजेंद्र ने बुरहान के मारे जाने की घटना को सुरक्षा बलों के लिए बड़ी कामयाबी करार दिया, क्योंकि कई स्थानीय लड़कों को बंदूक उठाने के लिए प्रेरित करने में उसकी भूमिका कथित तौर पर अहम थी।
बुरहान की मौत की खबर फैलने के तुरंत बाद श्रीनगर में पाकिस्तान समर्थक नारे सुनाई देने लगे। लोग सड़कों पर उतर आए और टायरें जलाने लगे। शहर के प्रमुख इलाके में रात को कर्फ्यू जैसी बंदिशें लगा दी गई है। मोबाइल इंटरनेट पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
सोशल मीडिया पर वीडियो एवं तस्वीरें डालकर युवाओं से बंदूक उठाने की अपील कर बुरहान चर्चित हुआ था। श्रीनगर के बाहरी इलाके त्राल के रहने वाले बुरहान पर 10 लाख रुपए का इनाम था जबकि सरताज कई आतंकवादी घटनाओं में शामिल था। मारे गए तीसरे आतंकवादी की पहचान अब तक नहीं हो सकी है।
पिछले महीने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में तीन पुलिसकर्मियों की मौत के बाद सोशल मीडिया पर बुरहान का आखिरी वीडियो सामने आया था जिसमें उसने और हमले करने की धमकी दी थी।
बताया जाता है कि सुरक्षा बलों की ओर से किए गए अपने बड़े भाई के कथित अपमान का बदला लेने के लिए बुरहान ने बंदूक उठाई थी ।
फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर बुरहान की कई तस्वीरें और उसकी तारीफ करने वाले कई पोस्ट डाले गए, जिसे सुरक्षा एजेंसियों ने हटवा दिया था लेकिन इससे उसकी लोकप्रियता कम नहीं हुई।