श्रीनगर। कश्मीर में सुरक्षाबलों ने एक बड़ा मोर्चा फतह कर लिया है। उन्होंने हिजबुल मुजाहिदीन के पोस्टरब्वॉय बुरहान वानी के अंतिम बचे हुए आतंकी सद्दाम पाडर को भी मार गिराया है। उस पर 15 लाख का इनाम था। उसके साथ 4 और आतंकी भी मारे गए।
मारे आतंकियों में कश्मीर विश्वविद्यालय का असिस्टेंट प्रोफेसर भी शामिल है जिसने सरकारी नौकरी छोड़ बंदूक थाम ली थी। इन मौतों के बाद कश्मीर में जमकर हुई हिंसा और पत्थरबाजी में बीसियों जख्मी हो गए हैं। पत्थरबाजों ने कई वाहनों को भी आग लगा दी है। हिंसा तथा सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 5 नागरिकों की भी मौत हो गई है।
शोपियां के बडगाम में चल रही मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने हिजबुल कमांडर सद्दाम पाडर और उसके 2 साथियों बिलाल मौलवी और आदिल समेत 5 आतंकियों को मार गिराया। मारे गए आतंकियों में एक कश्मीर विश्वविद्यालय का असिस्टेंट प्रोफेसर भी शामिल है। फायरिंग में पुलिसकर्मी अनिल कुमार और 44 आरआर का 1 जवान जख्मी हुए हैं।
पुलिस महानिदेशक एसपी वैद्य ने जानकारी दी कि 5 आतंकियों के शव बरामद कर लिए गए हैं। हालांकि एसएसपी ने मारे गए आतंकियों के नामों की पुष्टि नहीं की है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि मारे गए आतंकियों में हिजबुल मुजाहिदीन का 15 लाख का इनामी डिवीजनल कमांडर सद्दाम पाडर, असिस्टेंट प्रोफेसर मोहम्मद रफी बट, आदिल व 2 अन्य हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने जानकारी दी कि शोपियां के जैनापोरा इलाके में बडीगाम गांव में आतंकियों की मौजूदगी के बारे में सूचना मिली थी। इस सूचना पर सुरक्षा बलों ने सुबह इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान चलाया। अधिकारी ने कहा कि आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर फायरिंग शुरू कर दी थी। सुरक्षाबलों की तरफ से भी जवाबी फायरिंग की गई थी।
इस बीच में मुठभेड़ शुरू होने के साथ ही बड़ी संख्या में स्थानीय युवक भड़काऊ नारेबाजी करते हुए मुठभेड़ स्थल की तरफ रवाना होने लगे। कुछ मौके पर भी पहुंच गए और उन्होंने सुरक्षाबलों पर पथराव शुरू कर दिया। स्थिति को बिगड़ता देख सुरक्षाबलों ने भी उन्हें खदेड़ने के लिए बलप्रयोग किया और इसके साथ ही बादीगाम, रोहमू व उसके साथ सटे इलाकों में हिंसक झड़पें शुरू हो गईं। इनमें 25 लोग जख्मी हुए हैं। सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 5 नागरिकों की भी मौत हो गई। उनकी पहचान जुबैर अहमद, नसीर अहमद, सज्जाद राथर, आदिल अहमद तथा आसिफ अहमद के तौर पर हुई है।
अधिकारियों के मुताबिक मारे गए आतंकियों में हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर सद्दाम पाडर भी है। सुरक्षाबलों ने सद्दाम के साथ बिलाल मौलवी और आदिल मलिक को भी घेर लिया था। सद्दाम हिजबुल का शीर्ष आतंकी कमांडर है और वह बुरहान ब्रिगेड में शामिल एकमात्र जीवित हिजबुल कमांडर था।
गौरतलब है कि कश्मीर विश्वविद्यालय में सोशियोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर मोहम्मद रफी बट गत शुक्रवार को नमाज के बाद से ही लापता था। उसकी गुमशुदगी को लेकर गत शनिवार को विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों, प्रोफेसरों व उसके परिजनों ने एक प्रदर्शन भी किया था। पुलिस ने भी उसकी गुमशुदगी का मामला दर्ज करते हुए छानबीन शुरू कर दी थी। एसएसपी शोपियां ने बताया कि असिस्टेंट प्रोफेसर को सरेंडर के लिए मनाने के इरादे से उसके परिजनों की भी मदद ली गई, पर उसने हथियार नहीं डाले थे।
पुलिस महानिदेशक एसपी वैद ने ट्वीट किया- 'बडीगाम, जैनापुरा, शोपियां में मुठभेड़ खत्म हुई, पांचों आतंकवादियों के शव बरामद कर लिए गए हैं। शाबाश बहादुरों- सेना/ सीआरपीएफ/ जम्मू-कश्मीर पुलिस।'
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि मारे गए आतंकवादियों की शिनाख्त कायम करने का प्रयास किया जा रहा है। अभी यह पता नहीं चला है कि उनका संबंध किस समूह से है। इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी की गुप्त सूचना पर सुरक्षा बलों द्वारा दक्षिणी कश्मीर जिले के जैनापुरा इलाके के बडीगाम गांव में घेराबंदी और तलाश अभियान शुरू करने के बाद यह मुठभेड़ शुरू हुई।
जानकारी के लिए वर्ष 2015 में मारे गए हिज्ब कमांडर बुरहान वानी समेत जिन 11 आतंकियों की फोटो ने सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाई थी, उसमें सद्दाम भी था। अब उस तस्वीर में शामिल आतंकियों में एक तारिक पंडित ही जिंदा बचा है और वो इस समय जेल में है।
शोपियां के हेफ गांव में टंगपोरा मोहल्ले के रहने वाले सद्दाम को लोगों ने वर्ष 2015 में जब पहली बार आतंकी बने देखा, तो सब हैरान रह गए थे। पढ़ाई को बीच में ही छोड़ने के बाद से सद्दाम पत्थरबाजी में लिप्त था और आतंकियों के लिए ओवरग्राउंड वर्कर के तौर पर काम भी करता था। लेकिन वह आतंकी बनेगा, यह न पुलिस को यकीन था और न उसके परिजनों या दोस्तों को।
स्कूल छोड़ने के बाद वह अक्सर अपने पिता के साथ अपने बाग में व्यस्त रहता था या फिर अपनी भेड़ों के साथ। जो समय बचता था तो वह गांव के चौराहे पर लोगों को हंसाने या फिर स्थानीय क्रिकेट मैदान पर विकेटकीपिंग करते ही नजर आता था। उसके बारे में कहा जाता है कि वह लोगों को हंसाने या किसी का स्वांग करने में इतना माहिर था कि उसे देखते ही सभी हंसने लगते थे। उसे सब 'जोकर' समझते थे। लेकिन आतंकी संगठन में सक्रिय होने के बाद उसके जिक्र पर लोग हंसते नहीं, सहम जाते थे।
राज्य पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार सद्दाम ने करीब 2 दर्जन से ज्यादा आतंकी वारदात को बीते 2 सालों में अंजाम दिया है। उसके जिंदा या मुर्दा पकड़े जाने पर 15 लाख का इनाम था। उसकी मौत से शोपियां में हिज्ब ही नहीं लश्कर भी कमजोर होगा, यह तय है।