नई दिल्ली। कैबिनेट ने बहुचर्चित तीन तलाक विधेयक को मंजूरी दे दी है। दूसरी ओर लोकसभा में तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के प्रावधान वाला विधेयक शीतकालीन सत्र के अंतिम सप्ताह में आने की संभावना है।
तीन तलाक विधेयक के बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने कहा कि इस विधेयक को संभवत: सत्र के अंतिम सप्ताह यानी एक से पांच जनवरी के बीच लाया जाएगा। सूत्रों के अनुसार शीतकालीन सत्र में अध्यादेशों के स्थान पर करीब आठ विधेयक लाने की योजना है।
सूत्रों ने लोकसभा की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक के बारे में जानकारी दी कि 18 दिसंबर से 22 दिसंबर और 27 एवं 28 दिसंबर के दौरान आवश्यक विधायी कार्य के अलावा समुद्री चक्रवात, बाढ़, भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं और उनसे निपटने के उपायों एवं तैयारियों तथा दिल्ली में प्रदूषण को लेकर चर्चा होगी।
इसके अलावा सत्ता पक्ष की ओर से केरल एवं कर्नाटक में राजनीतिक हिंसा एवं लव जिहाद पर तथा विपक्ष की ओर से ग्रामीण एवं शहरी अंचलों में रोज़गार की समस्या पर भी चर्चा कराने की मांग उठाई जाएगी।
सूत्रों के अनुसार इस अवधि में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में राज्यों को भरपाई के संबंध में पांचवे संशोधन अध्यादेश की जगह आने वाले विधेयक, भारतीय वन संशोधन विधेयक, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड संशोधन विधेयक पर चर्चा कराके पारित कराने का प्रयास किया जाएगा। इसी दौरान अनुपूरक मांगों पर भी सदन की मंज़ूरी लेने का प्रयास किया जाएगा।
सरकार की अपील : सरकार ने तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने वाले विधेयक को पारित कराने में सभी दलों से सहयोग की अपील की है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि सरकार मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिलाना चाहती है। यह राजनीति नहीं बल्कि मानवता और मानवाधिकार से जुड़ा विषय है। सभी दलों को तीन तलाक से जुड़े विधेयक को पारित कराने में सहयोग करना चाहिए।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री गिरिराज सिंह का कहना था कि शादी के बाद मौखिक रूप से तीन तलाक बोलकर पत्नी का परित्याग करना हत्या से भी गंभीर अपराध है। इसके लिए कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए। (एजेंसी/वेबदुनिया)