Banke bihari temple case : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा की छाता तहसील में स्थित बांके बिहारी जी महाराज मंदिर की जमीन कब्रस्तान के नाम दर्ज होने के मामले में राजस्व अधिकारियों को जमीन से जुड़े संपूर्ण दस्तावेज पेश करने का गुरुवार को निर्देश दिया। याचिकाकर्ता के मुताबिक, भूखंड संख्या 1081 मूल रूप से बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के नाम दर्ज था।
अदालत ने इससे पूर्व 10 अगस्त को मथुरा की छाता तहसील के तहसीलदार को यह बताने का निर्देश दिया था कि बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के नाम दर्ज जमीन कैसे 2004 में कब्रस्तान के नाम पर दर्ज हो गई। न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट द्वारा दायर एक याचिका पर यह आदेश पारित करते हुए इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख पांच सितंबर, 2023 तय की।
पूर्व के आदेश के अनुपालन में छाता के तहसीलदार और अन्य राजस्व अधिकारी अदालत में मौजूद थे, लेकिन चूंकि 1359 फसली के रिकॉर्ड नहीं लाए गए थे, इसलिए अदालत ने अधिकारियों को संपूर्ण रिकॉर्ड अगली तिथि पर लाने का निर्देश दिया।
यह रिट याचिका, छाता के राजस्व अधिकारियों को याचिकाकर्ता के आवेदन पर निर्णय करने का निर्देश देने के अनुरोध के साथ दायर की गई है। आवेदन में राजस्व प्रविष्टि सही करने की प्रार्थना की गई है जिसमें जमीन बांके बिहारी जी महाराज की जगह अवैध रूप से कब्रिस्तान के नाम पर दर्ज कर दी गई है।
राज्य सरकार की ओर से स्थाई अधिवक्ता ने अदालत का ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित करना चाहा कि कब्रिस्तान का नाम दर्ज करने के लिए भी एक आवेदन लंबित है, क्योंकि प्रविष्टियां अब कब्रस्तान से पुरानी आबादी में बदल दी गई हैं।
अदालत ने पिछले गुरुवार को अपने आदेश में कहा था, तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए तहसीलदार को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर छाता तहसील के शाहपुर गांव में भूखंड संख्या 1081 पर उपलब्ध प्रविष्टियां बदलने के लिए राजस्व अधिकारियों द्वारा समय-समय पर जो भी कार्यवाही की गई है, उसका उल्लेख करने का निर्देश दिया जाता है।
याचिकाकर्ता के मुताबिक, भूखंड संख्या 1081 मूल रूप से बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के नाम दर्ज था, जो कि 1375-1377एफ के अधिकारों के रिकॉर्ड से स्पष्ट है, लेकिन वर्ष 2004 में इस भूखंड को कब्रस्तान के नाम कर दिया गया।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)