नई दिल्ली। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनावी एजेंट शेख सूफियान को हत्या के एक मामले में गुरुवार को तलब किया। यह मामला नंदीग्राम में चुनाव के बाद हुई हिंसा से संबंधित है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने नंदीग्राम से ही विधानसभा चुनाव लड़ा था और हार गई थीं।
अधिकारियों के मुताबिक यह मामला 3 मई को नंदीग्राम में कुछ अज्ञात लोगों द्वारा देवव्रत मैती पर जानलेवा हमले से संबंधित है। अस्पताल में 10 दिन तक इलाज चलने के बाद मैती ने दम तोड़ दिया था। नंदीग्राम में ममता बनर्जी और उनके प्रतिद्वंद्वी शुभेंदु अधिकारी के बीच कड़ी चुनावी टक्कर हुई थी। तृणमूल नेता सूफियान, ममता बनर्जी पर हुए हमले में शिकायतकर्ता भी हैं।
इस बीच, जांच एजेंसी ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा से संबंधित हत्या का एक और मामला दर्ज किया है, जिससे सीबीआई द्वारा अब तक दर्ज किए गए ऐसे मामलों की संख्या बढ़कर 35 हो गई है।
प्राथमिकी के मुताबिक गोबिंद बर्मन नाम के एक व्यक्ति ने कूचबिहार के एक मतदान केंद्र पर बम फेंकने और गोली चलाने वाले 12 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जहां बर्मन और उनके परिवार के सदस्य 10 अप्रैल को मतदान करने गए थे। बर्मन के मुताबिक एक आरोपी ने उनके भाई को निशाना बनाकर गोली चलाई और अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई।
सीबीआई के प्रवक्ता आरसी जोशी ने कहा कि सीबीआई ने कलकत्ता में माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए अब तक कुल 35 मामले दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, ये मामले पहले पश्चिम बंगाल के विभिन्न थानों में दर्ज किए गए थे।
अर्पिता घोष ने इस्तीफा दिया : तृणमूल कांग्रेस सांसद अर्पिता घोष ने राज्यसभा की सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया है और सभापति एम वेंकैया नायडू ने इसे स्वीकार कर लिया है। यह जानकारी राज्यसभा सचिवालय से बुधवार को जारी अधिसूचना में दी गई। घोष के इस्तीफा से उनके पार्टी के ही अन्य सदस्य चकित हैं।
अधिसूचना में कहा कि राज्यों की परिषद (राज्यसभा) की निर्वाचित सदस्य श्रीमती अर्पिता घोष, जो पश्चिम बंगाल राज्य का प्रतिनिधित्व करती हैं, ने राज्यसभा की अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया है और उनका इस्तीफा 15 सितंबर 2021 को सभापति ने स्वीकार कर लिया है। घोष हाल में संपन्न मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में हुए हंगामे के कारण निलंबित सदस्यों में शामिल थीं।
इस हंगामे के दौरान सांसद और मार्शल घायल हुए थे। सूत्रों ने संकेत दिया कि उनकी पार्टी ने उन्हें इस्तीफा देने को कहा था। उन्होंने कहा कि पार्टी उनके कामकाज से प्रसन्न नहीं थी और उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा था। घोष को मार्च, 2020 में तृणमूल कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए नामित किया था। उससे पहले वह 2019 में बुलारघाट से लोकसभा चुनाव हार गई थीं।(भाषा)