नई दिल्ली। इन दिनों एक खास तरह का सोने का सिक्का काफी चर्चाओं में है। ये इतना बहुमूल्य है कि इसे तलाशने की जिम्मेदार भारत सरकार ने सीबीआई को सौंपी है। इस सोने के सिक्के की कीमत 126 करोड़ रुपए बताई जा रही है। देश की शीर्ष एजेंसियों में से एक सीबीआई द्वारा एक सिक्के की खोज करवाना, वो भी जिसकी कीमत 126 करोड़ रुपए हो, कोई आम बात नहीं है। सोशल मीडिया पर जिसने भी इस बारे में पढ़ा, उसने यही सवाल किया कि आखिर ये सिक्का भारत के लिए इतना खास क्यों है? आइए जानते है विस्तार से....
दरअसल, इस सिक्के का जिक्र मुगल शासक जहांगीर की लिखी पुस्तक तुजुक-ए-जहांगीरी में मिलता है। इस सिक्के का वजन एक हजार तोला या करीब 12 किलो है। जहांगीर ने इस सिक्के को ईरानी शाह के राजदूत यादगार अली को उपहार स्वरुप भेंट किया था। इस सिक्के को बनाने वाले आगरा के कारीगरों ने इसपर फारसी में कहावतें भी लिखी थी।
जानकारों की माने तो भारत की आजादी के बाद ये सिक्का हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान से होते हुए उनके वंशजों के पास पहुंचा। इसके बाद सिक्का कहां गया, ये किसी को नहीं पता। ऐतिहासिक पुस्तकों में बस इतना लिखा हुआ है कि अंतिम बार 1987 में इसे हैदराबाद के निजाम के पास देखा गया।
आज की तारीख के हिसाब से अगर इस सिक्के की कीमत का अंदाजा लगाया जाए, तो 1000 तोले का सिक्का 126 करोड़ रुपए का पड़ेगा। आगरा के कारीगरों द्वारा मुगल काल में बनाए जाने की वजह से इस सिक्के का ऐतिहासिक महत्व बहुत ज्यादा है। इसलिए, भारत सरकार इसे वापस अपने देश लाना चाहती है।
इस सिक्के के स्विट्जरलैंड में नीलाम किए जाने की खबर सुनते ही भारत सरकार ने आज से करीब 35 साल पहले यानी कि 9 नवंबर 1987 में इसे खोजने की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी थी, जिसमें सीबीआई नाकाम रही थी।
अब एक बार फिर ये सिक्का चर्चा में है, जब जून 2022 में सरकार ने फिर से इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सिक्के की खोज की जिम्मेदारी पुनः सीबीआई को सौंपी है। इस बार की तलाश में डीआरडीओ के आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा। ये भी कहा जा रहा है कि इस खोज में सीबीआई के साथ-साथ देश के प्रमुख इतिहासकारों की एक विशेष कमेटी की मदद भी ली जाएगी।