नई दिल्ली। केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों को अपने मूल स्थानों की यात्रा करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार उनकी और उनके परिवार की हर रोज उन स्थानों पर देखभाल कर रही है, जहां भी वे हैं।
देश में कोरोना वायरस से निपटने के लिए अपने उपायों के बारे में बताते हुए सरकार ने शीर्ष अदालत में दूसरी स्थिति रिपोर्ट दाखिल की। यह स्थिति रिपोर्ट वकील आलेख आलोक श्रीवास्तव द्वारा दाखिल एक याचिका के जवाब में दाखिल की गई है जिसमें उन्होंने मजदूरी के भुगतान समेत प्रवासी श्रमिकों के लिए राहत उपाय किए जाने का आग्रह किया है।
केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि संगठित क्षेत्र में कम वेतन पाने वाले लोगों की कठिनाइयों को कम करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत नकदी का हस्तांतरण किया गया है।
स्थिति रिपेार्ट में कहा गया है कि सरकार ने ऐसे श्रमिकों को ईपीएफओ धनराशि को अग्रिम निकालने की अनुमति दी है और 9 अप्रैल तक 1,49,891 सदस्यों ने इस सुविधा का लाभ उठाया है।
इसमें कहा गया है कि राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा दिए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 37,978 राहत शिविर स्थापित किए जा चुके हैं। इन शिविरों में लगभग 14.3 लाख लोग ठहरे हुए हैं। इसके अलावा 26,225 से अधिक शिविरों में लगभग 1.34 करोड़ लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। (भाषा)