नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर केन्द्रीय बजट पेश करने की तारीख आगे बढ़ाए जाने से संबंधित याचिका सोमवार को खारिज कर दी।
याचिका में कहा गया था कि ऐसे समय में बजट लाना जबकि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं आदर्श चुनाव संहिता का उल्लंघन होगा। न्यायालय ने इस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि बजट का लाया जाना किसी भी तरह से आचार संहिता का उल्लंघन होगा माना जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश जेएस केहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि इस दावे को सही ठहराने का ऐसा कोई आधार नहीं है कि आम बजट विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है। देश में पहली बार ऐसा हो रहा है जब आम बजट एक फरवरी को संसद में पेश किया जाएगा।
चुनावों के बीच में बजट पेश किए जाने को आचार संहिता का उल्लंघन बताने वाली याचिका एक अधिवक्ता एमएल शर्मा की ओर से दायर की गई थी जिसमें उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह केन्द्र को यह ओदश दें कि बजट एक फरवरी की बजाए पहली अप्रैल को पेश किया जाए क्योंकि बजट से चुनाव वाले राज्यों में मतदाताओं की सोच प्रभावित हो सकती है।
याचिका में यह मांग भी की गई थी कि बजट में केन्द्र सरकार को किसी लुभावनी योजना की घोषणा करने से तब तक रोका जाए जब तक पांचों राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न नहीं हो जाते। चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में विभिन्न चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव तिथियों की घोषणा चार जनवरी को की थी। उधर केन्द्र सरकार ने वर्ष 2017-18 के लिए एक फरवरी को आम बजट पेश करने की तैयारी पहले से ही कर रखी है। (वार्ता)