Central ordinance : दिल्ली (Delhi) में सेवाओं के नियंत्रण और अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश (ordinance) पर मामला शांत नहीं हो रहा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को केंद्र को नोटिस जारी किया। उप राज्यपाल को भी निर्देश दिए गए। अध्यादेश के एक सप्ताह पहले कोर्ट ने दिल्ली में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर सेवाओं का नियंत्रण केजरीवाल सरकार को सौंपने का आदेश दिया था।
दिल्ली सरकार कर रही है रोक लगाने की मांग : अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए केंद्र द्वारा अध्यादेश लाया गया है। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है। दिल्ली सरकार ने अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। दिल्ली सरकार इस पर रोक लगाने की मांग कर रही है।
एलजी को बनाया जाए पक्ष : इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अपनी याचिका में संशोधन करने के लिए कहा है। शीर्ष अदालत ने मामले में उपराज्यपाल को पक्ष बनाने का भी निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और आप सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से अपनी याचिका में संशोधन करने और मामले में उपराज्यपाल को पक्ष के रूप में जोड़ने को कहा।
नोटिस करेंगे जारी : पीठ ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 17 जुलाई को तय करते हुए कहा हम नोटिस जारी करेंगे। दिल्ली सरकार ने अध्यादेश को रद्द करने के साथ ही इस पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की है।
यह पूरा मामला : केंद्र सरकार ने 19 मई को दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग के लिए एक प्राधिकरण बनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 लागू किया था।
दिल्ली सरकार ने सेवाओं पर नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 'धोखा' करार दिया है। अध्यादेश में दिल्ली, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, दमन और दीव एवं दादरा और नगर हवेली (सिविल) सेवा (दानिक्स) कैडर के ग्रुप-ए के अधिकारियों के तबादले और अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान किया गया है। Edited By : Sudhir Sharma