नई दिल्ली। भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने शुक्रवार को बसपा संस्थापक कांशीराम की बहन के साथ एक रैली को संबोधित किया और ऐलान किया कि वे वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। आजाद के इस कदम को उत्तरप्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन के लिए झटका माना जा रहा है।
उत्तरप्रदेश में दलितों को अपने पक्ष में लामबंद करने की कोशिश कर रही भीम आर्मी ने बताया कि वे केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ और भाजपा के विरुद्ध जहां मजबूत प्रत्याशी की जरूरत हुई, वहां अपने उम्मीदवार उतारेगी।
बसपा संस्थापक कांशीराम की 85वीं जयंती के अवसर पर आयोजित रैली को संबोधित करते हुए चंद्रशेखर ने दावा किया कि वे प्रधानमंत्री मोदी को दोबारा वाराणसी लोकसभा सीट से निर्वाचित नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा कि मैं संविधान और दलितों के अधिकारों की रक्षा के लिए वाराणसी में नरेन्द्र मोदी को चुनौती दूंगा। मैं सांसद या विधायक नहीं बनना चाहता। अगर ऐसा होता तो मैं सुरक्षित सीट चुनता।
भीम आर्मी प्रमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री को जब पता चला कि हम वाराणसी में उन्हें चुनौती देने वाले हैं तो उन्होंने इलाहाबाद में स्वच्छता कर्मियों के चरण पखारने शुरू कर दिए, हालांकि भाजपा ने औपचारिक ऐलान नहीं किया है कि मोदी आगामी चुनाव में किस सीट से लड़ेंगे।
चंद्रशेखर ने आरोप लगाया कि सामान्य श्रेणी के कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का नरेन्द्र मोदी सरकार का फैसला संविधान पर हमला है और भाजपा के हितों को साधने वाला है। उन्होंने कहा कि सपा-बसपा गठबंधन को कांशीराम की बहन स्वर्ण कौर को संसद भेजना चाहिए।
भीम आर्मी के उपाध्यक्ष मंजीत नौटियाल ने बताया कि वे स्मृति ईरानी के खिलाफ प्रत्याशी खड़ा करेंगे। वे उन सीटों पर भी उम्मीदवार उतारेंगे, जहां सपा-बसपा गठबंधन भाजपा प्रत्याशी को हराने के लिहाज से मजबूत नहीं हैं।
जब आजाद से पूछा गया कि क्या वे कांग्रेस का समर्थन करेंगे? तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पिछले 70 साल में दलितों के लिए कोई लड़ाई नहीं लड़ी। कांग्रेस और भाजपा एक ही सिक्के के 2 पहलू हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बुधवार को ही मेरठ के एक अस्पताल में चंद्रशेखर से मुलाकात की थी। (भाषा)