भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा चांद पर शोध के लिए भेजे गए चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के बाद अब उसके लैंडिंग वाले स्थान के नामकरण को लेकर विचार किया जा रहा है, जिससे कि वह नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जा सके।
सोमवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से अपराह्न 2 बजकर 43 मिनट पर 'बाहुबली' नामक सबसे ताकतवर रॉकेट GSLVMkIII-M1 के जरिए चंद्रयान-2 का सफल प्रक्षेपण किया गया। यह भारत का दूसरा चंद्र मिशन है। चंद्रयान-2 मिशन के तहत शोध यान चांद के उस हिस्से में उतरेगा, जिस पर अभी तक कम ही शोध हुआ है।
प्रक्षेपण के बाद अब इस बात पर विचार किया जा रहा है कि चंद्रयान जहां सफलतापूर्वक लैंडिंग करेगा, उस स्थान को आखिर क्या नाम दिया जाए, जो कि एक ऐतिहासिक क्षण बनने जा रहा है। इसके लिए नाम भी सुझाए जा रहे हैं। जैसे ही नाम पर एकमत हो जाएगा, उसके बाद जोरशोर से ऐलान किया जाएगा। खबरों के मुताबिक उस स्थान के नाम का ऐलान प्रधानमंत्री मोदी करेंगे।
वैज्ञानिकों के अनुसार इस दक्षिणी ध्रुव पर शोध से यह पता चलेगा कि आखिर चांद की उत्पत्ति और उसकी संरचना कैसे हुई। इस क्षेत्र में बड़े और गहरे गड्ढे हैं। यहां उत्तरी ध्रुव की अपेक्षा कम शोध हुआ है। दक्षिणी ध्रुव के हिस्से में सोलर सिस्टम के शुरुआती दिनों के जीवाष्म मौजूद होने की संभावनाएं हैं। इसरो के मुताबिक इसकी प्रबल संभावनाएं हैं कि दक्षिणी ध्रुव पर जल मिले।