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चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर मैग्मा महासागर के निशान खोजे

हमें फॉलो करें Chandrayan 3

राम यादव

, गुरुवार, 29 अगस्त 2024 (13:07 IST)
Traces of magma ocean on Moon: भारतीय चंद्रयान-3 द्वारा एकत्रित डेटा की सहायता से वैज्ञानिकों को इस बात के नए सबूत मिल रहे हैं कि चंद्रमा का दक्षिणी गोलार्ध, अरबों साल पहले, पिघली हुई चट्टानों के महासागर से ढका हुआ था।
 
वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रमा का दक्षिणी गोलार्ध कभी पिघली हुई तरल चट्टानों के महासागर से ढका हुआ था। वे मानते हैं कि चंद्रमा के निर्माण के तथाकथित 'ल्यूनर मैग्मा ओशन' (सोम मैग्मा महासागर) सिद्धांत के अनुसार ऐसा ही रहा होना चाहिए। इस सिद्धांत के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि चंद्रमा की ऊपरी सतह, लगभग 4.5 अरब साल पहले, मैग्मा (पिघली हुई तरल चट्टानों) के महासागर में हुए क्रिस्टलीकरण से धीरे-धीरे बनी थी।
 
शोधकर्ताओं ने भारत के चंद्रयान-3 मिशन से मिली जानकारियों के आधार पर वहां रहे 'मैग्मा महासागर' के अवशेषों की खोज करने का दावा किया है। यह बात हाल ही में 'नेचर' पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन से सामने आई है। लगभग एक साल पहले चंद्रयान-3 ने अपना अवतरणयान (लैंडर) 'विक्रम' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा था। उस दस दिवसीय मिशन के दौरान, 'प्रज्ञान' नाम के रोवर ने 'विक्रम' से बाहर निकल कर अपने आस-पास की परिस्थितियों और बनावटों के बारे में डेटा एकत्र करने के लिए 'अल्फा कण एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर' का उपयोग किया था, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव वाली मिट्टी की खनिज संरचना के बारे में जानकारी प्रदान की है।
 
अतीत में चंद्रमा पर पहुंचे अमेरिका के अपोलो, रूस के लूना और चीन के चांग'ई जैसे पिछले चंद्र मिशनों से मिले डेटा के उपयोग द्वारा चंद्रमा की चट्टानों की रासायनिक संरचना पहले ही निर्धारित की जा चुकी है। शोधकर्ताओं के अनुसार, चंद्रयान-3 ने 'विक्रम' को जिस जगह उतारा, रोवर 'प्रज्ञान' द्वारा उसके आस-पास से लिए गए 23 मापनों से पता चलता है कि उसके अवतरण क्षेत्र में चंद्रमा की ऊपरी सतह की स्थानीय बनावट काफी हद तक एक समान है और वह मुख्य रूप से 'फेरोआन एनोर्थोसाइट' (FAN) कहलाने वाली चट्टानों से बनी है। 'फेरोआन' का अर्थ है लौह-युक्त, लोहा मिश्रित। 'एनोर्थोसाइट' चट्टानों की बनावट की एक क़िस्म है। अनुमान है कि चंद्रमा की लगभग 80 प्रतिशत ऊपरी सतह इन्हीं चट्टानों की बनी है।
 
अपने समय में अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण 'नासा' के अपोलो मिशनों ने चंद्रमा के मध्यवर्ती अक्षांशों से इसी तरह के चट्टानी नमूने पृथ्वी पर लाए थे। चंद्रयान-3 मिशन ने अब पहली बार 'चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव' के पास की बनावटा का प्रत्यक्ष प्रमाण प्रदान किया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो इस समय अपने अगले मिशन, चंद्रयान-4 की योजना बना रहा है, जो अगली बार चंद्रमा की मिट्टी के नमूने पृथ्वी पर लाएगा। 

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