भारत अंतरिक्ष में इतिहास रचने से सिर्फ 2 कदम की दूरी पर ही रह गया। सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर लैंडिंग से सिर्फ 69 सेकंड पहले चंद्रयान-2 का पृथ्वी से संपर्क टूट गया। लेकिन ISRO का यह मिशन नाकाम नहीं हुआ है, क्योंकि उम्मीदें अभी भी बाकी हैं। 978 करोड़ रुपए की लागत वाले चंद्रयान-2 मिशन का सबकुछ खत्म नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानियों की हौसला अफजाई की। ऑर्बिटर में लगे 8 पैलोड चांद की सतह का नक्शा तैयार करेंगे।
ISRO के अनुसार विक्रम से संपर्क टूटा, लेकिन ऑर्बिटर काम कर रहा है। ऑर्बिटर अभी भी घूम रहा है। इसरो ने यह भी कहा कि वह ऑर्बिटर से मिले डेटा पर रिसर्च कर रहा है।
आर्बिटर में लगे 8 पैलोड चांद की सतह का नक्शा तैयार करेंगे और वहां खनिज तथा बर्फ का पता लगाएंगे। जिस ऑर्बिटर से लैंडर अलग हुआ था, वह चन्द्रमा की सतह से 119 किमी से 127 किमी की ऊंचाई पर घूम रहा है।
ISRO चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने बताया कि लैंडर विक्रम की लैंडिंग प्रक्रिया एकदम ठीक थी। जब यान चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह से 2.1 किमी दूर था, तब उसका पृथ्वी से संपर्क टूट गया। हम ऑर्बिटर से मिल रहे डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं।
जब तक लैंडर विक्रम निष्क्रिय घोषित न हो जाए, तब तक ISRO दोबारा संपर्क करने की कोशिश करेगा। ऑर्बिटर 1 साल काम करेगा यानी लैंडर और रोवर की स्थिति का पता नहीं चलने पर भी मिशन जारी रहेगा। 2,379 किलो वजनी ऑर्बिटर के साथ 8 पैलोड हैं और यह 1 साल काम करेगा यानी लैंडर और रोवर की स्थिति पता नहीं चलने पर भी मिशन जारी रहेगा। 8 पैलोड के अलग-अलग काम होंगे।