नई दिल्ली। इतिहास के कई किस्से-कहानी खुद में समेटे हुए राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन का नाम सरकार ने बदल दिया है। अब यह गार्डन 'अमृत उद्यान' (Amrit Udyan) के नाम से जाना जाएगा। करीब 15 एकड़ में फैले इस बाग में ट्यूलिप, गेंदा, स्वीट विलियम समेत देशी-विदेशी फूलों की कई प्रजातियां हैं। यह विश्व के सबसे अच्छे उद्यानों में से एक है। दरअसल, सरकारें समय-समय पर कई जगहों के नाम बदलती रहती हैं।
खबरों के अनुसार, राष्ट्रपति भवन का प्रसिद्ध मुगल गार्डन अब 'अमृत उद्यान' के नाम से जाना जाएगा। शनिवार को जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई। बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रविवार को राष्ट्रपति भवन उद्यान उत्सव 2023 का उद्घाटन करेंगी।
राष्ट्रपति की उप प्रेस सचिव नविका गुप्ता ने एक बयान में कहा, आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन उद्यानों को अमृत उद्यान के रूप में एक सामान्य नाम देकर प्रसन्न हैं। सरकार ने पिछले साल दिल्ली के प्रतिष्ठित राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया था।
केंद्र का कहना है कि इन चीजों के नाम में बदलाव औपनिवेशिक मानसिकता के निशान को हटाने का प्रयास है। इस साल के उद्यान उत्सव में कई अन्य आकर्षणों के साथ ही आगंतुक 12 अनूठी किस्मों के विशेष रूप से उगाए गए ट्यूलिप के फूल देख पाएंगे।
रायसीना हिल्स स्थित राष्ट्रपति भवन के अंदर करीब 15 एकड़ में फैले इस अमृत उद्यान में 10 से अधिक गार्डन हैं। इस अमृत उद्यान में ट्यूलिप, गेंदा, स्वीट विलियम समेत देशी-विदेशी फूलों की कई प्रजातियां हैं। इसमें गुलाब की 150 प्रमुख प्रजातियां हैं, जिसके कारण यह विश्व के सबसे अच्छे उद्यानों में से एक माना जाता है।
अमृत उद्यान को पुरानी मुगल शैली में बनाया गया है। भारत की आजादी से पहले वर्तमान राष्ट्रपति भवन को वायसराय हाउस के नाम से जाना जाता था, जिसका निर्माण अंग्रेजों ने की राजधानी कोलकाता से बदलकर दिल्ली होने के बाद रायसीना की पहाड़ी को काटकर कराया गया था।
सर एडिवन लूटियंस ने साल 1917 की शुरुआत में मुगल गार्डन यानी अमृत उद्यान के डिजाइन को अंतिम रूप दिया और साल 1928 में यह गार्डन बनकर तैयार हुआ। उद्यान 31 जनवरी, 2023 को आम जनता के लिए खुलेंगे और 26 मार्च, 2023 तक खुले रहेंगे, जबकि हर सोमवार को यह बंद रहेंगे। साथ ही ये उद्यान 8 मार्च को होली के मौके पर भी बंद रहेंगे। फोटो सौजन्य : यूएनआई
Edited By : Chetan Gour