नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने नियंत्रण रेखा के पार सीमित सैन्य कार्रवाई के संबंध में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के बयानों पर उनकी तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि उनकी टिप्पणियों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
चिदंबरम ने एक प्रकाशित लेख में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मंत्रियों को आगाह किया था कि वे इस विषय में अपना सीना नहीं ठोंके, इसके बावजूद 'रॉलर कोस्टर' पर सवार पर्रिकर अपना तमाशा बनवा रहे हैं जबकि उन्हें संयम बरतना चाहिए। सीमित सैन्य कार्रवाई के बाद से वे बढ़-चढ़कर बयान दे रहे हैं और वे लोग भी उनकी हंसी उड़ा रहे हैं जिन्होंने सामान्यत: सरकार का समर्थन किया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने रक्षामंत्री को अल्पभाषी कहा था लेकिन उसके 2 ही दिन बाद सीमित सैन्य कार्रवाई पर उनके आक्रामक रुख पर उन्हें संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के नेताओं की कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी है।
चिदंबरम ने पर्रिकर के इस बयान की भी आलोचना की कि सेना की यह सीमित सैन्य कार्रवाई देश के इतिहास में पहली सर्जिकल स्ट्राइक है, लेकिन पहले भी सीमापार सैन्य कार्रवाइयां हुई हैं और बदले की कार्रवाई भी हुई है। पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने हाल में इसकी पुष्टि की है और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने सीमापार हुई ऐसी कार्रवाई की प्रकृति को स्पष्ट किया था।
चिदंबरम ने नियंत्रण रेखा पर संयम बनाए रखने का आग्रह करते हुए कहा कि सीमा पर संघर्षविराम कायम रखना भारत और पाकिस्तान दोनों के हित में है। दोनों के बीच 2003 में सहमति बनी थी कि वे यथासंभव संघर्षविराम का कायम रखेंगे।
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के बाद वर्तमान सरकार को रणनीतिक संयम बरतने की नीति और सीमापार कार्रवाई करने का अधिकार है लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों और उसकी नीतियों का विस्तार करने और निंदा करने का अधिकार नहीं है। (वार्ता)