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LAC : लद्दाख में कम नहीं हो रही चीन की कारस्तानी, बफर जोनों में लगातार उड़ा रहा है Drones

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सुरेश एस डुग्गर

जम्मू , रविवार, 10 दिसंबर 2023 (13:28 IST)
समझौतों के बावजूद चीनी सेना लद्दाख के मोर्चे पर उन बफर जोनों में लगातार ड्रोन उड़ाकर भारतीय सेना को परेशान किए हुए है जहां से दोनों पक्षों ने कुछ अरसा पहले अपने जवानों को रिट्रिट किया था। भारतीय पक्ष इसे उकसाने वाले कार्रवाई भी करार देता है।
 
लद्दाख के मोर्चे से मिलने वाली खबरें कहती हैं कि सेनाधिकारियों ने अपनी चिंताओं से सेना मुख्यालय को अवगत करवाते हुए कहा है कि इससे निपटने के उपाय तत्काल किए जाने चाहिए क्योंकि चीनी सेना की ड्रोन उड़ानें उनके सामारिक महत्व के ठिकानों को बार बार बदलने पर मजबूर कर रही हैं।
 
 दरअसल, लद्दाख सीमा पर बफर जोन उस समय बनाए गए जब मई 2020 में चीनी सेना लद्दाख के भीतर कई किमी तक घुस आई थी और बाद में हुए समझौतों के तहत भारतीय सेना को ही अपने क्षेत्रों से पीछे हटना पड़ा था। इन समझौतों में भारतीय सेना को अपने ही कई इलाकों में गश्त करने पर भी पाबंदी लगा दी गई थी।
 
हालांकि सैन्य सूत्रों ने कहा कि चीन के हालिया कदम का मुकाबला करने के लिए, भारतीय सेना भी चीनी सेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अपने ड्रोन तैनात कर रही है।

रक्षा सूत्रों के मुताबिक सैटेलाइट इमेजरी से भी संकेत मिलता है कि चीनी सेना बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विस्तार और अपने सैनिकों के लिए आवास के निर्माण के अलावा वास्तविक नियंत्रण रेखा अर्थात एलएसी पर अपने ड्रोन के बेड़े का उपयोग कर रहे हैं। हालांकि, आधिकारिक तौर पर, रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने चीनी सेना द्वारा बफर जोन पर ड्रोन के इस्तेमाल पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
 
पिछले साल, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के एक निर्वाचित प्रतिनिधि ने बताया था कि कैसे बफर जोन के निर्माण ने स्थानीय लोगों की अपने पशुओं के लिए चरागाहों तक पहुंच को अवरुद्ध कर दिया है और उनकी आजीविका को नुकसान पहुंचाया है।
 
दरअसल, बफर जोन के निर्माण के बाद चीनी सेना अभी भी कई इलाकों में भारतीय क्षेत्र के भीतर ही है। जबकि कहा यह भी जा रहा है कि भारत ने अपनी अधिक भूमि पर गश्त करने का अधिकार छोड़ दिया है, जिससे चीनियों को अधिक क्षेत्र सौंपने का आरोप लग रहा है जबकि रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा था कि बफर जोन एक अस्थायी व्यवस्था थी और भारत ने उन क्षेत्रों पर अपना अधिकार नहीं छोड़ा है। लेकिन सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह व्यवस्था कब तक जारी रहेगी।
 
दोनों पक्ष फरवरी 2021 में पैंगांग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट से, अगस्त 2021 में गोगरा में पेट्रोलिंग प्वाइंट 17 से और सितंबर 2022 में हाट स्प्रिंग्स में पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से पीछे हट गए थे। इससे पहले, वे गलवान घाटी से हट गए थे। 2020 में एक झड़प के बाद जिसमें 20 भारतीय सैनिक और कम से कम चार चीनी सैनिक मारे गए थे।


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