नई दिल्ली। डोकलाम मामले में भारत और चीन के बीच विवाद इन दिनों बढ़ता ही जा रहा है। दोनों देशों के बीच युद्ध के बादल मंडराने लगे हैं। इसी बीच, कुछ तथाकथित संगठन चीनी सामान का खूब विरोध कर रहे हैं, चीनी सामान के बहिष्कार की बात कर रह हैं, लेकिन हकीकत इसके उलट ही है। भारत में चीनी सामान की आमद कम होने के बजाय बढ़ी ही है। ऐसे में 'देशभक्ति' पर सवाल तो उठता ही है।
हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक समाचार में बताया गया है कि अप्रैल-जून की तिमाही में चीन से भारत का आयात 33 फीसदी तक बढ़ गया है। समाचार में कहा गया है कि चीनी आयात के बढ़ने का कारण यह है कि रुपए में मजबूती आने से रुपए की डॉलर की तुलना में 5.5 प्रतिशत का ह्रास देखा गया है।
इसी तरह फरवरी के बाद चीनी युआन में 3.7 फीसदी का ह्रास देखा गया है। इस कारण से आयात की लागतों में अंतर आया है। इस बीच सरकारी आंकड़ों में बताया गया है कि अप्रैल-जून की तिमाही में पिछले वर्ष की समान अवधि के बीच बढ़ोतरी यह भी दर्शाती है कि दोनों देशों के सीमा विवाद के बावजूद सीमा पर कारोबार पहले की तरह चल रहा है।
विदित हो कि चीन, भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है और इलेक्ट्रॉनिकस और इलेक्ट्रिकल्स सामानों तथा रसायनों का भारत बहुत अधिक आयात करता है। आयात चीन के पक्ष में है लेकिन आर्थिक जानकारों का कहना है कि दोनों देशों के संबंधों में तनाव का कारोबार के बीच कोई असर नहीं पड़ेगा। यह दोनों देशों के बीच सामान्य कामकाज है जोकि चल रहा है और इसमें स्थिति में कोई ज्यादा बदलाव नहीं होने वाला है। विदित हो कि वर्तमान में युआन 9.6 रुपए के बराबर है।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष की समान तिमाही की अवधि में भारत का चीन से आयात 13.5 अरब डॉलर का था जोकि अब 18 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।