नई दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस की अगुवाई वाले 2 धड़ों ने मंगलवार को पार्टी पर नियंत्रण के लिए कोशिशें तेज कर दीं। जहां पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 5 असंतुष्ट सांसदों को निष्कासित करने का दावा किया गया, वहीं पारस नीत गुट ने चिराग को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया।
अपने चाचा पारस द्वारा 5 सांसदों की मदद से लोकसभा में पार्टी के नेता पद से हटाए जाने के बाद पहली प्रतिक्रिया में चिराग पासवान ने पार्टी की तुलना एक मां से करते हुए कहा कि इसके साथ विश्वासघात नहीं किया जाना चाहिए।
चिराग ने ट्विटर पर एक पत्र भी साझा किया, जो उन्होंने 29 मार्च को अपने पिता रामविलास पासवान के सबसे छोटे भाई पारस को लिखा था और जिसमें उन्होंने अपने चाचा से दिवंगत लोजपा संस्थापक के विचारों के अनुसार पार्टी को चलाने की बात कही।
चिराग के पिता और लोजपा संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के महज 8 महीने बाद पार्टी में विभाजन के संकेतों के बीच दोनों धड़े पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं और दोनों ही खुद को पार्टी का कर्ताधर्ता दर्शाने का प्रयास भी कर रहे हैं। लोजपा के 6 लोकसभा सदस्यों में से 5 के पारस खेमे में जाने के साथ ही चिराग की अगुवाई वाले समूह ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की डिजिटल बैठक आयोजित की जिसमें पार्टी के 76 में से 41 सदस्य उपस्थित थे। यह जानकारी पार्टी की बिहार इकाई के कार्यवाहक अध्यक्ष राजू तिवारी ने दी।
तिवारी ने संवाददाताओं को बताया कि बैठक में सर्वसम्मति से पांचों सांसदों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए लोजपा से निष्कासित करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि बैठक आनन-फानन में बुलाई गई। तिवारी ने दावा किया कि कई अन्य सदस्यों ने भी इस फैसले को समर्थन जताया है और चिराग पासवान के नेतृत्व पर भरोसा व्यक्त किया है। दूसरी तरफ पारस नीत गुट ने भी दावा किया कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक आपात बैठक में जमुई से सांसद चिराग पासवान को 'एक व्यक्ति, एक पद' के सिद्धांत के अनुसार पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला हुआ है। हालांकि यह नहीं बताया गया कि बैठक में कितने सदस्यों ने भाग लिया। पारस खेमे ने कहा कि नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए 5 दिन में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाई जाएगी।
चिराग पासवान बुधवार को संवाददाताओं को संबोधित कर सकते हैं और पार्टी पर नियंत्रण की यह लड़ाई जल्द निर्वाचन आयोग तक पहुंच सकती है। लोकसभा सचिवालय ने सदन में पार्टी के नेता के रूप में पारस को मान्यता दी है। चिराग ने एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने अपने पिता और परिवार द्वारा स्थापित पार्टी को एकजुट रखने के प्रयास किए लेकिन वह विफल रहे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। चिराग ने पार्टी में भरोसा जताने वालों का आभार भी जताया।
पारस को लिखे पत्र में चिराग ने अनेक मुद्दों पर अपने चाचा की नाखुशी को उजागर किया है जिसमें उनका पार्टी अध्यक्ष होना भी शामिल है। चिराग के करीबी सूत्रों ने कहा कि उन्हें लगता है कि इस विभाजन के पीछे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दिमाग हो सकता है, क्योंकि वह 2020 के विधानसभा चुनावों में जदयू के खिलाफ लोजपा के तीखे प्रचार के बाद वे लोजपा अध्यक्ष को राजनीतिक रूप से कमजोर कर देना चाहते हैं।
चिराग ने चाचा को लिखे पत्र को साझा करके यह दर्शाना चाहा है कि पारस के व्यवहार ने उनके पिता को उस समय आहत किया था, जब वे अस्वस्थ थे। उन्होंने लिखा कि जब चचेरे भाई प्रिंस राज को कथित तौर पर एक महिला ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाकर ब्लैकमेल करने का प्रयास किया तो पारस ने तो इसकी अनदेखी की थी लेकिन उन्होंने ही राज को पुलिस के पास जाने की सलाह दी थी। हालांकि प्रिंस ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वे भी लोजपा के सांसद हैं और पारस खेमे में हैं। भाजपा ने पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साध रखी है जिसके नेतृत्व में राजग में लोजपा और जदयू दोनों शामिल हैं। (भाषा)