नई दिल्ली। संसद के दोनों सदनों में पारित हुए नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) का विरोध संसद और सड़क के बाद अब कोर्ट में पहुंच चुका है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के 4 सांसदों ने इस विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इसकी संवैधानिकता पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल मुस्लिम लीग की ओर से मामले की पैरवी करेंगे।
IUML का कहना है कि नागरिकता संशोधन विधेयक संविधान के अनुच्छेद-14 के तहत मिले समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है, क्योंकि इसे धर्म के आधार पर बनाया गया है।
विपक्ष ने कहा कि यह विधेयक मुस्लिमों के खिलाफ है। यह विधेयक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की छूट देता है।
विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक हिन्दू, सिख, जैन, पारसी, ईसाई और बौद्ध शरणार्थियों को भारत की नागरिकता हासिल करने में आसानी होगी। सोमवार को लोकसभा में पास होने के बाद बुधवार को यह विधेयक पारित हो गया है।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विधेयक का विरोध करते हुए इसे भारत के संवैधानिक इतिहास का 'काला दिन' बताया था। सोनिया गांधी ने कहा था कि इस विधेयक के पारित होने से देश के बहुलवाद पर छोटी मानसिकता की जीत हुई है।