नई दिल्ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने उच्चतम न्यायालय के 5 नए न्यायाधीशों को सोमवार को पद की शपथ दिलाई। उच्चतम न्यायालय परिसर में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में 5 न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति पंकज मिथल, न्यायमूर्ति संजय करोल, न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा को शपथ दिलाई गई।
पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति के साथ शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की कुल संख्या बढ़कर 32 हो गई है, जो उसकी स्वीकृत क्षमता से 2 कम है। उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने पिछले साल 13 दिसंबर को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने के लिए इन पांचों न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की थी।
कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने इस साल 4 फरवरी को राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल, पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पीवी संजय कुमार, पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मनोज मिश्रा को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की घोषणा की थी।
यह घोषणा उच्चतम न्यायालय और 25 उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर केंद्र और न्यायपालिका में गतिरोध के बीच की गई थी। उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर शीर्ष अदालत और सरकार ने खुले तौर पर अपने मतभेद व्यक्त किए हैं।
रीजीजू ने हाल ही में कॉलेजियम प्रणाली को भारतीय संविधान के लिए एलियन बताया था, जबकि उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम और उससे संबंधित संविधान संशोधन अधिनियम को खारिज करने वाले उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर सवाल उठाए थे।
एनजेएसी अधिनियम के तहत सरकार उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को बदलना चाहती थी। केंद्र सरकार ने पिछले शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को भरोसा दिलाया था कि शीर्ष अदालत में पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की सिफारिश को जल्द ही मंजूरी दे दी जाएगी।
उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने 31 जनवरी को 2 और न्यायाधीशों- इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने की सिफारिश की थी।
एक बार उनके नाम को मंजूरी दे दी जाती है और वे शपथ ले लेते हैं तो शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों के सभी 34 पद भर जाएंगे। न्यायमूर्ति बिंदल और न्यायमूर्ति कुमार के नामों की सिफारिश करते समय कॉलेजियम ने स्पष्ट किया था कि उसके द्वारा 13 दिसंबर 2022 को भेजे गए नामों को शीर्ष अदालत में पदोन्नति में मौजूदा नामों पर तरजीह दी जाएगी।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)