नई दिल्ली। उत्तर भारत में गर्मी का कहर दिखाई दे रहा है, कई इलाकों में तापमान लगातार 40 डिग्री से ऊपर बना हुआ है। हीट वेव चल रही है। इस बीच 12 राज्यों में बिजली संकट ने परेशानी और बढ़ा दी है। 3 राज्यों में अंधेरे का खतरा मंडरा रहा है। देश में मांग की तुलना में सप्लाई में 1.4 फीसदी की गिरावट आई है। कई राज्यों में डिमांड और सप्लाई में 3 फीसदी का अंतर आ गया है। जानिए क्या है बिजली संकट का कोयले से कनेक्शन?
आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों में बिजली की संकट दिखाई दे रहा है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, झारखंड, हरियाणा और उत्तराखंड जैसे राज्यों में भी बिजली की कमी है। इस वजह से इन राज्यों में बिजली कटौती बढ़ी है। इस संकट के पीछे देश में कोयले की कमी को बड़ी वजह बताया जा रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमतें बढ़ी हुई हैं। बढ़ी हुई कीमतों की वजह से आयात प्रभावित हुआ है। इस वजह से कंपनियों की निर्भरता घरेलू कोयला उत्पादन पर बढ़ी है। इधर कोरोना काल के बाद देश के औद्योगिक क्षेत्रों में भी कोयले की मांग बढ़ी है। बढ़ती मांग को देखते हुए बिजली मंत्रालय ने कोयले का आयात बढ़ाकर 36 मिलियन टन करने को कहा है।
पावर प्लांट्स के पास एक अप्रैल को केवल 9 दिन की जरूरत के मुताबिक कोयले का स्टॉक रह गया था। जबकि, गाइडलाइन के मुताबिक ये स्टॉक 24 दिन का होना चाहिए।
देश के कुल बिजली उत्पादन में 70 से 75 फीसदी उत्पादन कोयला आधारित संयंत्रों से होता है। बिजली संयंत्रों तक कोयला पहुंचाने का काम करीब 450 ट्रेनों से किया जाता है। हालांकि फिलहाल केवल 415 ट्रेनें ही इस काम में लगी है।
दुनिया में सबसे ज्यादा कोयले का उत्पादन कोल इंडिया करती है। यह भारत के कुल उत्पादन का 80 फीसदी कोयला उत्पादित करती है। इससे पहले भी अक्टूबर 2021 को देश में कोयले की कमी की वजह से पॉवर प्लांट बंद होने की कगार पर पहुंच गए थे। उस समय सरकार की ओर से कहा गया था कि बिजली संयंत्रों को प्रतिदिन औसतन 18.5 लाख टन कोयले की जरूरत होती है। दैनिक कोयला आपूर्ति करीब 17.5 लाख टन की है।