वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस समय गंगा का रंग बदलने का मुद्दा जोरों पर है और लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके चलते वाराणसी में गंगा के नजदीक रहने वाले लोग दहशत में भी आ गए हैं। इस बीच गंगा के रंग बदलने को लेकर आनन-फानन में बनाई गई जांच कमेटी की रिपोर्ट ने भी चौंकाने वाला खुलासा किया है।
सूत्रों की माने तो जांच रिपोर्ट में जो जानकारी दी गई है वह बेहद चौंकाने वाली है। जांच रिपोर्ट में गंगाजल में नाइट्रोजन और फास्फोरस की मात्रा मानकों से ज्यादा मिली है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि विंध्याचल एसटीपी से बहकर ये शैवाल आए हैं। इसके पीछे की मुख्य वजह पुरानी तकनीक से बने एसटीपी के कारण ये घटना होने की जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि शैवाल के कारण गंगा के इको सिस्टम पर बड़ा संकट मंडराने लगा है। गौरतलब है कि बीते दिनों वाराणसी के घाट पर देखा गया था कि गंगा का रंग हरा हो गया है। इस खबर को मीडिया ने प्रमुखता के साथ उठाया था।
आनन-फानन में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने एक टीम गठित की जिसमें अपर नगर मजिस्ट्रेट (द्वितीय) क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सहायक पुलिस आयुक्त (दशाश्वमेघ), अधिशासी अभियन्ता बन्धी प्रखण्ड एवं महाप्रबन्धक गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई की पांच सदस्यी टीम गठित कर नाव के माध्यम से गंगा नदी की धारा में जाकर गंगा नदी में हरे शैवाल पाए जाने के संबंध में इसके उद्गम स्रोत तथा गंगा घाटों तक इनके पहुंचने के कारणों की जांच रिपोर्ट 3 दिन के अंदर जमा कराने को कहा गया था।