नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की किताब Sunrise Over Ayodhya: Nationhood in Our Times आने के साथ ही एक विवाद भी सामने आ गया है। किताब में खुर्शीद ने हिन्दुत्व की तुलना आतंकी संगठन ISIS और बोको हराम से कर दी है। इस पेज को भाजपा के आईटी हेड अमित मालवीय ने भी ट्वीट किया है। विवेक गर्ग नाम के वकील ने सलमान खुर्शीद के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है।
दिग्विजय और चिदंबरम ने रखे विचार : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पुस्तक सनराइज ओवर अयोध्या के विमोचन के मौके पर कहा किहिंदुत्व शब्द का हिंदू धर्म और सनातनी परंपराओं से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि देश में हिन्दू खतरे में नहीं हैं, बल्कि फूट डालो और राज करो की मानसिकता खतरे में है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस देश के इतिहास में धार्मिक आधार पर मंदिरों का विध्वंस भारत में इस्लाम आने के पहले भी होता रहा है। इसमें दो राय नहीं है कि जो राजा दूसरे राजा के क्षेत्र को जीतता था, तो अपने धर्म को उस राजा के धर्म पर तरजीह देने की कोशिश करता था। अब ऐसा बता दिया जाता है कि मंदिरों की तोड़फोड़ इस्लाम आने के साथ शुरू हुई।
उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि का विवाद कोई नया विवाद नहीं था। लेकिन विश्व हिन्दू परिषद, आरएसएस ने इसे कभी मुद्दा नहीं बनाया। जब 1984 में वो दो सीटों पर सिमट गए तो इसे मुद्दा बनाने का प्रयास किया। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी का गांधीवादी समाजवाद विफल हो गया था। इसने उन्हें कट्टर धार्मिक रास्ते पर चलने के लिए मजबूर कर दिया। आडवाणी की रथयात्रा समाज को तोड़ने वाली यात्रा थी। जहां गए वहां नफरत का बीज बोते चले गए थे।
अयोध्या के फैसले को बताया गलत : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने इस मौके पर कहा कि अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय का फैसला सही है क्योंकि दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार किया है।
चिदंबरम ने कहा कि आज हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं कि जब लिंचिंग की प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की तरफ से निंदा नहीं की जाती है। एक विज्ञापन को वापस लिया जाता है क्योंकि हिंदू बहू को एक मुस्लिम परिवार में खुशी से रहता हुआ दिखाया गया। अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर कहा कि इस फैसले का कानूनी आधार बहुत संकीर्ण है। बहुत पतली सी रेखा है। लेकिन समय बीतने के साथ ही, दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार किया।
दोनों पक्षों ने स्वीकार किया, इसलिए यह सही फैसला है। ऐसा नहीं है कि यह सही फैसला था, इसलिए दोनों पक्षों ने स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि 6 दिसंबर, 1992 को जो हुआ, वह बहुत ही गलत था, इसने हमारे संविधान को कलंकित किया, उच्चतम न्यायालय की अवमानना की और दो समुदायों के बीच दूरी पैदा की।