Qatar Indian Navy Officers : कतर में एक अदालत ने 8 पूर्व नौसैनिकों को जासूसी मामले में मौत की सजा सुनाई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मामले में कड़ी नाराजगी जताई है। कहा जा रहा है कि विस्तृत आदेश मिलते ही इस फैसले को चुनौती दी जाएगी। इस बीच कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि उन्होंने दिसंबर में संसद में यह मामला उठाया था। इस पर विदेश मंत्री ने कहा था कि जरूरी कदम उठाए जा रहा है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा है कि 7 दिसंबर 2022 को जब उन्होंने ये मुद्दा संसद में उठाया था तो विदेश मंत्री ने कहा था जरूरी कदम उठाया जा रहा है लेकिन जाहिर है वो कदम पर्याप्त नहीं थे। तिवारी ने सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर वह लेटर भी शेयर किया विदेश मंत्री ने उन्हें लिखा था।
उन्होंने कहा कि उस समय ये आठ वरिष्ठ नौसैनिक अधिकारी 120 दिनों तक एकांत कारावास में थे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 26 दिसंबर 2022 को एक चिट्ठी लिख कर बताया था कि भारत सरकार इस मामले में क्या कुछ कर रही है, लेकिन स्पष्ट रूप से वह पर्याप्त नहीं था।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने भाषण के एक पुराने अंश को शेयर करते हुए लिखा कि कतर में फंसे पूर्व नौसेना के अधिकारियों का मुद्दा अगस्त महीने में उन्होंने संसद में उठाया था।
ओवैसी ने लिखा कि आज उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है। नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि इस्लामिक देश उन्हें कितना प्यार करते हैं। उन्हें चाहिए कि वे हमारे पूर्व नौसेना के अफसरों को वापस लाएं। ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें फांसी की सज़ा का सामना करना पड़ा है।
क्या है मामला : ये सभी 8 भारतीय पूर्व नौसेना कर्मी हैं। ये सभी कतर में स्थित अल दहारा कंपनी में काम करते हैं। कतर की अदालत ने इन्हें मौत की सजा दी है। इन पूर्व भारतीय नौसेनाकर्मियों पर कतर के खिलाफ इजराइल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया है। कतर के गृह मंत्रालय ने 30 अगस्त 2022 को जासूसी का आरोप लगाते हुए पूछताछ के लिए इन्हें घरों से हिरासत में लिया गया था।
इन नौसैनिकों को सुनाई मौत की सजा : ये पूर्व नौसेना अधिकारी हैं शामिल : कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर सेलर रागेश, कमांडर संजीव गुप्ता।
भारत और कतर के रिश्तों पर असर : इस पूरे मामले ने कतर और भारत के रिश्तों पर भी खासा असर डाला है। कतर में भारत के राजदूत ने राजनयिक पहुंच मिलने के बाद 1 अक्टूबर को जेल में बंद इन भारतीयों से मुलाकात की थी। फिलहाल इस मामले को लेकर विदेश मंत्रालय सक्रिय हो चुका है। मामले पर कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए कतर को संदेश भेजा है।
Edited by : Nrapendra Gupta