नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को 2,000 रुपए के नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा की थी। कांग्रेस ने 2000 रुपए का नोट वापस लेने के फैसले को लेकर केंद्र की आलोचना करते हुए मंगलवार को कहा कि सरकार को एक श्वेत पत्र लाकर देश को यह बताना चाहिए कि 2000 रुपए का नोट क्यों लाया गया था और अब इसे वापस क्यों लिया जा रहा है। कांग्रेस बदलने में होने वाली समय बर्बादी का गणित भी निकाला है।
कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार भारतीय मुद्रा की साख दाव पर लगा रही है और यह नोट बदलने का कार्यक्रम नहीं, बल्कि कालाधन रखने वालों के भव्य स्वागत का कार्यक्रम है।
वल्लभ के मुताबिक, देश में 3.62 लाख करोड़ रुपए मूल्य के दो हजार के नोट नकदी के रूप में मौजूद हैं तथा इन 2000 रुपये के कुल नोटों की संख्या 181 करोड़ है।
उन्होंने कहा कि अगर एक व्यक्ति एक बार में 2000 के 5 नोट बदलता है तो बैंकों को अगले 4 महीने में 36 करोड़ बार-बार लेन-देन करने होगा। एक लेन-देन में 4 मिनट भी लगे तो अगले 4 महीने में नोट बदलने में बैंकों के लगभग 2.5 करोड़ घंटे लगेंगे। यानी अगले 4 महीनों में बैंकों की शाखाएं सिर्फ नोट बदलने में व्यस्त रहेंगी।
कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि सरकार ने 30 सितंबर तक कालेधन के लिए खिड़की खोली है क्योंकि नोट जमा करने वालों और पैसे के स्रोत के बारे में कोई सवाल करने वाला नहीं है।
उन्होंने कहा कि देश के 11 करोड़ किसानों और 6 करोड़ छोटे एवं मझोले कारोबारियों को दिक्कतों का सामना करना होगा। उन्हें भीषण गर्मी में कतार लगाकर नोट बदलवाने होंगे, जबकि उनके पास कुछ ही नोट होंगे।
वल्लभ ने नोटबंदी को सबसे बड़ी संगठित लूट करार देते हुए कहा कि सरकार को एक समग्र श्वेत पत्र लाना चाहिए। यह बताना चाहिए कि 2000 रुपए का नोट क्यों लाया गया और अब इसे क्यों वापस लिया जा रहा है।
आरबीआई ने इन नोटों को बैंक खातों में जमा करने या बदलने के लिए जनता को 30 सितंबर तक का समय दिया गया है। 2000 रुपये का नोट 30 सितंबर तक वैध मुद्रा बना रहेगा। भाषा Edited By : Sudhir Sharma