नई दिल्ली। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर शुक्रवार को उन्हें बधाई दी। मोदी सरकार की 'विफलताओं' का हवाला देते हुए कहा कि पार्टी ने कहा कि उनके जन्मदिन को 'बेरोजगारी दिवस', 'किसान विरोधी दिवस', 'कोरोना कुप्रबंधन दिवस' और 'महंगाई दिवस' के रूप में मनाना उपयुक्त रहेगा।
पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी का जन्मदिवस है, उन्हें शुभकामनाएं, वे दीर्घायु हों। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के महान प्रधानमंत्रियों के जन्मदिवस को एक-एक नाम दिया गया है, जैसे बच्चों के प्रिय चाचा नेहरू के जन्मदिन को 'बाल दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इंदिराजी के जन्मदिन को 'कौमी एकता दिवस' के रूप में, राजीवजी के जन्मदिन को 'सद्भावना दिवस' और अटलजी के जन्मदिन को 'सुशासन दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
सुप्रिया ने सवाल किया कि आज सुबह हर अखबार के कवर पर पूरे पन्ने के विज्ञापनों में मोदीजी का मुस्कराता चेहरा देखकर यह ख्याल आया कि मोदीजी के जन्मदिन पर उनकी कौन सी उपलब्धि का जश्न मनाया जाए? उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी की उपलब्धियों पर नजर डालते हैं तो बीते 7 वर्षों में रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खाते युवा, शोषित किसान, बंद उद्योग, ऑक्सीजन के बिना तड़प-तड़पकर दम तोड़ते लोग, महंगाई से जूझती जनता, गैस छोड़ चूल्हा फूंकती महिलाएं, बड़े सरकारी उपक्रमों की बिक्री, भाजपा के सहयोगी संगठन बनी ईडी, सीबीआई एवं आयकर विभाग और कुछ खास चिर-परिचित बड़े पूंजीपतियों के चेहरे ही आंखों के सामने आते हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी के जन्मदिन को 'बेरोजगारी दिवस, 'किसान विरोधी दिवस', 'कोरोना कुप्रबंधन दिवस', 'महंगाई दिवस', 'उद्योग मंद, व्यापार बंद दिवस', 'पूंजीपति पूजन दिवस' और 'ईडी, सीबीआई, आईटी रेड दिवस' के रूप में मनाना उपयुक्त रहेगा। उन्होंने सवाल किया कि जब अगस्त में 15 लाख, जुलाई में 32 लाख, मई और अप्रैल में 2।27 करोड़ लोगों की नौकरियां खत्म होती हैं तो मन में सवाल उठता है कि सालाना 2 करोड़ रोजगार कहां हैं? आखिर क्यों 61 लाख सरकारी पद केंद्र और राज्य सरकारों में खाली पड़े हैं?
सुप्रिया ने कहा कि 600 से ज्यादा किसान शहीद हो गए, प्रधानमंत्री के मुंह से सहानुभूति का एक शब्द नहीं निकला... आज 900 रुपए की रसोई गैस, 95 रुपए का डीजल और 120 रुपए पेट्रोल बिक रहा है। खाने के तेल में आग लगी हुई है, दाल के दाम आसमान छू रहे हैं...। नोटबंदी के आपके तुगलकी फरमान और बिना सोचे-समझे 'गब्बर सिंह टैक्स' लगाने की वजह से देशभर में उद्योग धंधे-चौपट हो गए।