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जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए बने कानून: अमित शाह

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, शनिवार, 13 दिसंबर 2014 (12:01 IST)
नई दिल्ली। आगरा में धर्म परिवर्तन कराए जाने पर उठे विवाद के बीच भाजपा प्रमुख अमित शाह ने जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए कड़े कानून की पैरवी की है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल वोट बैंक राजनीति के कारण संसद में इस तरह के प्रावधान को समर्थन देने के लिए आगे नहीं आएंगे। वो शुक्रवार को एक निजी टीवी समाचार चैनल के कार्यक्रम में बोल रहे थे।
 
भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘जबरन धर्मांतरण नहीं होना चाहिए। इसके खिलाफ संसद में एक कड़ा कानून लाया जाना चाहिए। मैं इस तरह के कानून का समर्थन करने के लिए अन्य सभी दलों से अपील करता हूं। लेकिन, मैं गारंटी देता हूं कि भाजपा को छोड़कर कोई भी दूसरी पार्टी अपनी वोट बैंक राजनीति के कारण इसका समर्थन नहीं करेगी।’ 
 
उन्होंने संसदीय मामलों के मंत्री वेंकैया नायडू की संसद में की गई अपील का समर्थन किया कि जबरन धर्मांतरण पर कानून लाने के लिए सभी दलों को साथ आना चाहिए लेकिन, अगर लोग मर्जी से धर्म परिर्वतन करते हैं तो इसका विरोध क्यों किया जाता है।
 
आरएसएस के संगठन हिंदू जागरण समिति द्वारा मुसलिमों को हिंदू बनाने के लिए आगरा में आयोजित समारोह ‘घर वापसी’ को लेकर विवाद की पृष्ठभूमि में शाह की टिप्पणी मायने रखती है। 
 
‘लव जेहाद’ के मुद्दे पर भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि न तो उनकी पार्टी ने और न ही उनके नेताओं ने इस शब्द का इस्तेमाल किया है। यह मीडिया का किया धरा है। उन्होंने कहा, ‘लव जेहाद मीडिया की उपज है। यह पूरी तरह से महिलाओं के शोषण से जुड़ा मुद्दा है। हम इसके विरोध में हैं। भाजपा के किसी भी नेता ने अब तक इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है।’
 
राम मंदिर के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भाजपा की सोच बिल्कुल स्पष्ट है कि यह केवल दो तरीके से हो सकता है या तो सहमति से या अदालत के फैसले से। शाह ने पार्टी के संकल्प को दोहराते हुए कहा कि 2019 तक देश को ‘कांग्रेस मुक्त’ बनाया जाएगा। भाजपा इस काम को अपनी सांगठनिक क्षमता से पूरा करेगी। इसमें विपक्षी पार्टी की कमजोरी मदद करेगी।

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