- नस्य, धूपन और औषधि… आयुर्वेद में है कोरोना संक्रमण का रामबाण इलाज
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आयुर्वेद में कोरोना से बचाव और इलाज के कई रामबाण तरीके
कोराना वायरस से बचने के लिए आधुनिक मेडिकल ट्रीटमेंट में कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें दवाई से लेकर वैक्सीन तक शामिल है। लेकिन भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा शास्त्र में न सिर्फ कोरोना संक्रमण के इलाज के औषधियां हैं बल्कि इससे पहले से ही बचने के भी कई आसान तरीके हैं।
वेबदुनिया ने अपने पाठकों के लिए इंदौर के जाने माने एमडी आयुर्वेद डॉक्टर सतीश अग्रवाल (स्पर्श आयुर्वेद पंचकर्म वेलनेस क्लीनिक) से विस्तार से चर्चा की।
वेबदुनिया को डॉ अग्रवाल ने बताया कि कैसे न सिर्फ कोरोना से बल्कि किसी भी तरह के संक्रमण से पहले से ही बचाव किया जा सकता है और संक्रमण होने पर किस तरह से इसका इलाज संभव है। यह तीन स्तर है नस्य, धूपन और औषधि।
नस्य
डॉ अग्रवाल ने बताया कि चूंकि अब उन लोगों को भी कोरोना हो रहा है जो कहीं जा नहीं रहे हैं और सिर्फ घर में ही बैठे हैं, क्योंकि यह एयरबोर्न यानी हवा में भी और किसी न किसी सामग्री के साथ घर में भी प्रवेश कर रहा है, ऐसे में नस्य क्रिया का प्रयोग किया जा सकता है।
नस्य का अर्थ है नासिका या नाक। उन्होंने बताया कि कोरोना से बचने के लिए रोजाना अपनी नाक में सुबह-शाम तीन-तीन बूंद अणु तेल डालना चाहिए। यह तेल हमारे नेजल न्यूकोजा यानी झिल्ली के बीच सुरक्षा कवच के तौर पर काम करेगा और वायरस को शरीर के अंदर नहीं जाने देगा। इसमें अगर कोरोना के हल्के लक्षण भी होंगे तो ठीक हो सकते हैं।
प्राणायाम
इसके साथ हमें सुबह या शाम को अनुलोम विलोम प्राणायाम करना है। यह हमारे फेफड़ों को मजबूत करेगा और दूषित तत्वों को बाहर करेगा।
एंटी वायरल मेडिसिन
डॉ अग्रवाल के मुताबिक बहुत सारी एंटी वायरल मेडिसिन आयुर्वेद में हैं, जो हमें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाएगी, हमारी रोग प्रतिरोधक (इम्युनिटी) क्षमता बढ़ाएगी और है जो हमें कई तरह के रोगों से बचाएगी। उन्होंने बताया कि इसमें तुलसी, पुष्कर मूल, पीपली, हल्दी, दालचीनी, वासाचूर्ण, लौंग, पितोपलादी चूर्ण शामिल हैं, जो हमारी इम्युनिटी को बूस्ट करेगी। इसके साथ ही अश्वगंधा और गिलोय भी बहुत प्रभावकारी औषधियां हैं, जो बहुत असर करती है। इनका चूर्ण हो सकता है, टैबलेट हो सकती है या काढ़ा बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर की सलाह ली जा सकती है।
इसके साथ ही सुवर्ण समीर पन्नघरस, स्वातका चिंतामणी रस, संजीवनी वटी, सुदर्शन घनवटी आदि औषधियां भी कई तरह से बेहद ज्यादा फायदेमंद और संक्रमण से बचाव करती हैं। इन्हें आयुर्वेद डॉक्टर से सलाह के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है। यह प्रिवेंटिव भी है और माइल्ड सिम्प्टोम्स के लिए भी कारगर हैं।
धूपन
आयुर्वेद में धूपन का भी बहुत महत्व है। धूपन यानि धूएं का इस्तेमाल। डॉ अग्रवाल के मुताबिक धूपन न सिर्फ संक्रमण से दूर रखेगा बल्कि घर में कीट, पतंगों और किसी भी तरह के विषैले जानवरों से दूर रखेगा। उन्होंने बताया कि दशांग लेप, जटामांसी चूर्ण और तुलसी मंजरी आदि का धुआं करने से संक्रमण पूरी तरह से खत्म हो जाता है। जैसे हम मच्छरों को मारने के लिए नीम की पत्तियों का इस्तेमाल करते हैं ठीक उसी तरह यह संक्रमण के लिए काम करता है।
कोविड संक्रमण के दौरान
आयुर्वेद में कोराना का गंभीर संक्रमण होने पर आधुनिक इलाज के साथ ही आयुर्वेद में कई तरह की सुवर्ण औषधियां उपलब्ध हैं, जिन्हें आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह के बाद ली जा सकती है।
पोस्ट कोविड कैसे हो ताकतवर
कोरोना संक्रमण के बाद लोगों में इम्युनिटी कम होना, कमजोरी आना और थकान बहुत आम है। इन्हें दूर करने के लिए अमृतारिष्ठ और द्राक्षासव ले सकते हैं। यह कमजोरी और थकान दूर करता है। इसके साथ ही अगस्त्य रसायन और दशमूल हरीतकी अवलेह भी ले सकते हैं। यह दोनों चटनी की तरह होती है।
लाइफ स्टाइल
किसी भी स्थिति में स्ट्रेस यानि तनाव नहीं लेना है। अपनी तासीर के हिसाब से कुनकुना पानी पीएं। फ्रीज में रखी सामग्री का इस्तेमाल नहीं करना है। सुबह- शाम हल्का और सुपाच्य भोजन करना है। इसके साथ ही पेट को हर हाल में साफ रखना है।