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जानें कौन हैं नोटबंदी के हीरो...

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, शनिवार, 19 नवंबर 2016 (12:51 IST)
नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी के फैसले के बाद से लोगों को नकदी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। आवश्यक वस्तुएं खरीदने के लिए लोग बैंक, पोस्ट ऑफिस और एटीएम के सामने लंबी कतारें में अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं। 
 
इस मुश्किल की घड़ी में कई लोग ऐसे भी है जो प्रधानमंत्री मोदी के कालाधन के खिलाफ चलाए जा रहे सबसे बड़े अभियान को सफल बनाने में जी-जान से लगे हैं। जगह-जगह मानवीयता की मिसाल देखने को मिल रही है। भारी परेशानियां झेलने के बाद भी कतार में लगे लोग स्वयं ही उन लोगों को पहले पैसे लेने का मौका दे रहे हैं जो विकट परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। तभी तो लोग भारी परेशानियां झेलने के बाद भी कालेधन के खिलाफ लिए गए इस फैसले की सराहना करते नजर आए। आइए नजर डालते हैं नोटबंदी के कुछ हीरो पर... 
 
* बैंककर्मी और पोस्ट ऑफिसकर्मी : प्रधानमंत्री ने जब नोटबंदी की घोषणा कि तब आम आदमी की तरह ही बैंक कर्मी और पोस्ट ऑफिसकर्मी भी स्तब्ध रह गए। चारों तरफ हैरान-परेशान लोग नजर आ रहे थे। उन्हें यह भी नहीं पता था कि जब इतनी बड़ी संख्या में लोग बैंकों में उमड़ेंगे तो उन्हें किस तरह संतुष्ट करना है। घोषणा के एक दिन बाद जब बैंक खुली तो बड़ी संख्या में लोग बाहर खड़े थे। लेकिन उन्होंने बेहद समझदारी के साथ अथक मेहनत करते हुए अपने काम को अंजाम दिया। इस दौरान उन्हें लोगों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा। यह बैंककर्मियों की समझदारी का ही नतीजा है कि छुटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो कहीं भी स्थिति अराजक नहीं हुई। कमोबेश यही स्थिति पोस्ट ऑफिस में भी रही।  
 
* एटीएम में बदलाव करने वाली टीम : नोटबंदी का फैसला लागू होने के बाद पता चला कि देश के दो लाख से ज्यादा एटीएम, जो इस फैसले को लागू करने में बड़ी भूमिका निभाने वाले थे, नए नोट उगल ही नहीं पा रहे हैं। इस कठिन समय में उस टीम ने बेहद कठिन परिस्थतियों में रात-दिन एक कर एटीएम के सॉफ्‍टवेअर बदलना शुरू किए। जैसे-जैसे सॉफ्टवेअर बदलते गए, एटीएम में नोट डलने लगे, बैंकों के बाहर लगी कतार कम होने लगी और लोगों को राहत मिलती चली गई। इस काम में लगे उन लोगों को भी नहीं भूला जा सकता जो एटीएम में लगातार कैश डालने का काम कर रहे हैं। इस दौरान बैंक और एटीएम पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने भी सराहनीय भूमिका निभाई।  
 
* मदद को आतुर लोग : जब देश की 86 प्रतिशत करेंसी बाहर होने वाली हो तो देश में हड़कंप मचना स्वाभाविक है मगर लोगों ने बड़े धैर्य के साथ इस फैसले को स्वीकार किया। लाखों लोग भूखे-प्यासे अपने नोट बदलवाने के लिए लाइन में लगे रहे। इस दौरान किसी के घर में कोई बीमार था, तो किसी के यहां शादी थी। मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी लोगों को पैसे की जरूरत थी। विकट परिेस्थितियों में भी लोगों ने आपा नहीं खोया। कतार में लगे कई लोगों ने अपने बीच से उन लोगों को पहले पैसे दिलवाएं जो ज्यादा जरूरतमंद थे। इस दौरान बुजुर्गों, दिव्यांगों का भी ध्यान रखा गया। कई व्यापारियों और सेवा प्रदाताओं ने भी मुसीबत से जू्झ रहे लोगों की बड़ी मदद की।  
 
* स्वयंसेवी संगठन : जब लोग लाइन में खड़े परेशान हो रहे थे तो इनकी मदद के लिए कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं भी सामने आई। कही स्वयंसेवक कतार में खड़े लोगों को चाय-पानी पिलाते दिखाई दिए तो फार्म भरने में मदद करते दिखे। यहां तक की कई जगह तो रिटायर्ड बैंक कर्मचारियों ने विभिन्न शाखाओं में पहुंचकर इस मुश्किल समय में अपनी सेवाएं देने की पेशकश की।     
 
अगले पन्ने पर... नोटबंदी का सबसे बड़ा हीरो... 

जहां एक ओर देश भर के लोग मोदी सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपए के नोट बंद किए जाने को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग यह भी जानना चाहते हैं कि आखिर यह प्रधानमंत्री मोदी ने खुद से किया है, या फिर किसी और के कहने पर ये फैसला लिया है। दरअसल इस योजना के पीछे है अनिल बोकिल नाम का एक शख्‍स।
 
दरअसल, अनिल बोकिल ने प्रधानमंत्री मोदी को प्रस्ताव दिया था कि वह कालेधन पर रोक लगाने के लिए बाजार से 1000 रुपए और 500 रुपए के सभी नोट वापस ले लें। अनिल बोकिल अर्थक्रान्ति संस्थान के एक प्रमुख सदस्य हैं। अर्थक्रांति संस्थान महाराष्ट्र के पुणे का एक संस्थान हैं, जो एक इकोनॉमिक एडवाइजरी बॉडी की तरह काम करता है। इस संस्थान में चार्टर्ट अकाउंटेट और इंजीनियर सदस्य हैं।
 
नरेंद्र मोदी को यह सलाह बोकिल ने 2013 में दी थी। मोदी ने उन्हें 9 मिनट का वक्त दिया था, लेकिन मोदी उन्हें 2 घंटे तक सुनते रहे। इससे पहले बोकिल ने राहुल गांधी से मिलने का प्रयास भी किया था, लेकिन राहुल ने उन्हें 10 सेकंड में ही चलता कर दिया था।
 
अनिल बोकिल द्वारा दिए गए अर्थक्रान्ति प्रपोजल में 5 बिंदू थे, जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी के सामने प्रस्तुत किया गया था। आइए नजर डालते हैं उन बिंदुओं पर... 
 
* सभी 56 करों को खत्म कर दिया जाए, जिसमें आयकर और आयात कर को भी खत्म करने का प्रस्ताव था। 
* बाजार से 100, 500 और 1000 रुपए के सभी नोट वापस ले लिए जाएं।
* सभी अधिक कीमत के लेन-देन सिर्फ बैंकिंग सिस्टम के जरिए ही किए जाएं, जैसे चेक, डीडी, ऑनलाइन आदि। 
* नकद लेन-देन की सीमा को निर्धारित किया जाए और नकद लेन-देन पर कोई कर न लगे।
* सरकार की आय के लिए सिंगल टैक्स सिस्टम होना चाहिए जो सीधे बैंकिंग सिस्टम पर लगे, जिसे बैंकिंग ट्रांजेक्शन टैक्स भी कहा जा सकता है। इसकी सीमा 2 फीसदी से 0.7 फीसदी तक हो सकती है। यह कर सिर्फ क्रेडिट अमाउंट पर लगाए जाने का प्रस्ताव दिया गया था।

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