नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद से सरकार देश में नकदी रहित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए नए-नए कदम उठा रही है लेकिन सर्वोच्च पंचायत संसद के परिसर में कैशलेस भुगतान की कोई व्यवस्था नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री अरूण जेटली नोटबंदी के बाद नकदी रहित व्यवस्था अपनाने पर लगातार जोर दे रहे हैं। उनका कहना है कि इससे ही अर्थव्यवस्था पारदर्शी और मजबूत होगी।
महानगरों, शहरों, छोटे कस्बों और यहां तक की ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग अब भुगतान के लिए डेबिट, क्रेडिट कार्ड, नेटबैंकिंग, पेटीएम और ई वॉलेट जैसे तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन संसद भवन परिसर के सभी आउटलेट पर केवल नकद लेन-देन की ही अनुमति है।
संसद भवन परिसर में स्थित कैंटीन, चाय कॉफी काउंटर, स्मृति चिन्ह बिक्री काउंटरों, डीएमएस और टी बोर्ड के बिक्री काउंटरों पर केवल नगद भुगतान की ही व्यवस्था है। संसद में लगभग 750 सांसद, स्टाफ के कर्मचारी, करीब 200 पत्रकार और बड़ी संख्या में संसद की कार्यवाही देखने के लिए लोग आते हैं।
नगदी रहित भुगतान व्यवस्था नहीं होने से नोटबंदी के कारण इन्हें दिक्कतों का सामना करना पडता है। काफी लोगों को काउंटरों पर यह पूछते देखा गया कि क्या भुगतान कार्ड से किया जा सकता है लेकिन उनके हाथ निराशा ही लगी।
संसद भवन परिसर में भारतीय स्टेट बैंक की एक शाखा तथा दो एटीएम हैं जिनमें नोटबंदी के बाद लंबी लंबी लाइनें लगी रही। (वार्ता)