Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

नोटबंदी के नौवें दिन भी नकद के लिए भीड़ में नहीं आई कमी

हमें फॉलो करें नोटबंदी के नौवें दिन भी नकद के लिए भीड़ में नहीं आई कमी
, गुरुवार, 17 नवंबर 2016 (22:12 IST)
नई दिल्ली, कोलकाता, इंदौर। नोटबंदी के नौ दिन बाद आज भी देश में बैंकों और एटीएम पर भीड़ कम नहीं हो रही, लंबी लंबी कतारें अब भी लगी हैं, जबकि प्रशासन ने कहा है कि नकद की कमी की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और अब अफरा-तफरी नहीं है।
 
संसद के अंदर और बाहर नोटबंदी के बीच राजनीतिक रस्साकशी जारी रहने के बीच बैंक अपनी शाखाओं पर 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को बदलवाने और अपनी रोजाना जरूरतों की पूर्ति के लिए पहुंच रही भीड़ का प्रबंधन करने की जद्दोजहद में लगे रहे।
हालांकि कुछ एटीएम में 500 रुपए के नोट देने के लिए जरूरी तब्दीली की गई लेकिन पैसे निकालने के भारी दबाव के चलते ऐसी मशीनों में नकदी जल्द खत्म हो रही है। वैसे, नहीं मिटने वाली स्याही की प्रक्रिया कल शुरू होने के बाद आज महानगरों में कुछ बैंक शाखाओं पर पुराने बड़े नोटों को बदलवाने वालों की कतारें आज थोड़ी छोटी हो गईं । इस कदम से बार बार नोट बदलवाने के लिए लाइन में लगने वाले लोगों को एक ही बार नोट लेकर संतोष करना पड़ा। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि बैंक की शाखाओं पर भीड़ में आज बड़ी कमी आई और अब कोई अफरा-तफरी नहीं है।
 
बैंकों में नकदी की कमी, परेशानी से जूझ रहा आम आदमी : बंगाल में आज नौवें दिन भी लोगों को नकदी की तलाश में इधर-उधर भटकते हुए देखा गया। आज बड़ी सुबह से ही बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी लेकिन अनुशासित कतारें देखने को मिलीं। हालांकि लोगों की चिंताएं आज दूसरी चीज को लेकर देखने को मिली। लोग सरकार द्वारा नोट बदलने की सीमा को घटाकर 2,000 किए जाने को लेकर परेशान दिखे। सरकार का यह फैसला कल से प्रभावी होगा।
 
जहां कुछ बैंकों ने नकदी स्वीकार की, वहीं अधिकतर ने नकदी की कमी के कारण रुपए देना बंद कर दिया। वहीं अधिकतर एटीएम के बाहर ‘नकदी नहीं है’ या ‘अस्थाई तौर पर सेवा उपलब्ध नहीं है’ की तख्ती लगी हुई है, जिससे लोगों की समस्याएं बहुत अधिक बढ़ गई हैं।
 
पहचान पत्र लेकर दो घंटे से भी अधिक समय से कतार में खड़े अनिर्बान बर्मन ने बताया, मैं कलकत्ता विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने के लिए असम से आया हूं। मेरा परिवार मुझे रुपए भेजता है और डेबिट कार्ड के जरिये मैं वह रुपया निकालता हूं। कार्ड की अवधि पिछले सप्ताह समाप्त हो गई और मैं अपने बिल का भुगतान भी नहीं कर पा रहा हैं। साथ ही चेकबुक नहीं होने के कारण मैं रुपए भी नहीं निकाल पा रहा हूं। मेरे पास 500 के ही कुछ नोट बचे हैं..इसको लेकर मुझे रोज क्लास छोड़कर बैंक आना पड़ता है।
webdunia
इंदौर में भी नकदी का संकट : नोटबंदी की मार मध्यप्रदेश के महानगर इंदौर में भी देखने को मिल रही है। बुधवार तक शहर की तमाम बैंकों में पुराने नोट को बदलने के लिए लंबी-लंबी लाइनें देर शाम तक देखने को मिली। एचडीएफसी बैंक की साकेत शाखा में नोट बदलने की लाइन ही नहीं लगी,  क्योंकि बैंक के पास देने को पैसा ही नहीं था। रोजाना यहां सुबह 10 बजे से शाम 4  बजे तक भारी भीड़ रहा करती थी, जो गुरुवार को गायब थी। 
 
साकेत शाखा के सुरक्षाकर्मी रामवीरसिंह रघुवंशी और कृपालसिंह पिछले 8 दिनों से भीड़ को काबू करने की मशक्कत कर रहे थे लेकिन आज उन्हें राहत थी क्योंकि भीड़ ही नहीं थी। आज सुबह से ही 500 और 1000 नोट बदलने के लिए लाइन ही नहीं लगी। बैंक अधिकारी सुनील जैन ने बताया कि हमारे पास कैश खत्म हो गया है। यही कुछ हाल ट्रेड सेंटर का रहा। कल तक वहां भी नोट बदलवाने के लिए भीड़ लगा करती थी लेकिन आज नहीं थी। कोई भी जिम्मेदार यह बताने को तैयार नहीं था कि यहां पर कब नोट बदले जाएंगे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

चार महीनों से घर पर पैसा ही नहीं बचा, लगे लाइन में