नई दिल्ली। मौसम के अलबेलेपन से केवल आम इंसान ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी काफी परेशान हैं। इस साल मार्च महीने में लोगों को जून वाली गर्मी झेलनी पड़ी है तो वहीं इस बार मानसून वक्त से पहले केरल में दस्तक देने जा रहा है। यही नहीं, 2 दिन पहले राजधानी दिल्ली में पारा 49 डिग्री तक पहुंच गया था।
उत्तर भारत के कई राज्य लू की चपेट में हैं तो वहीं असम इस वक्त बाढ़ की गिरफ्त में हैं। मौसम के इस अलबेलेपन ने मौसम वैज्ञानिकों की पेशानी पर बल डाल दिया है। लू से होने वाली मौतों में इजाफा हुआ। कनाडा की संस्था इंटरनेशनल डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर ने हीटवेव और उसके दुष्प्रभाव पर एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें कहा गया है कि भारत में साल 2006 के बाद से हीटवेक के कारण मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
2014 से 2017 के बीच इस ग्राफ में तेजी से इजाफा हुआ साल 2014 से 2017 के बीच इस ग्राफ में तेजी से इजाफा हुआ है, इन तीन सालों के अंदर हीटवेव से होने वाली मौतों की संख्या 4000 से ज्यादा पहुंच गई है। जो कि सोचनीय विषय है। गर्मी से डायरिया, डेंगू बुखार और मलेरिया का खतरा बढ़ गया जलवायु परिवर्तन की वजह से लोगों की सेहत सीधे तौर पर प्रभावित हो रही है।
असम में बाढ़ का प्रकोप : उत्तर भारत में लगातार बढ़ रही गर्मी के बीच असम में लगातार हो रही बारिश से बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पैदा हो गई है। जिस कारण असम के 20 जिलों में लगभग 2 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। असम के न्यू हाफलोंग रेलवे स्टेशन का एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में पानी का बहाव इतनी तेज है कि वहां खड़ी एक ट्रेन की बोगियां पलट जाती हैं।(फ़ाइल चित्र)