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भारत में 50 फीसदी से ज्यादा किसानों पर कर्ज का बोझ

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, शनिवार, 11 सितम्बर 2021 (00:13 IST)
नई दिल्ली। देश में खेती-बाड़ी करने वाले आधे से अधिक परिवार कर्ज के बोझ तले दबे हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के एक सर्वे के अनुसार 2019 में 50 प्रतिशत से अधिक कृषक परिवार कर्ज में थे और उन पर प्रति परिवार औसतन 74 हजार 121 रुपए कर्ज था। 
 
सर्वे में कहा गया है कि उनके कुल बकाया कर्ज में से केवल 69.6 प्रतिशत बैंक, सहकरी समितियों और सरकारी एजेंसियों जैसे संस्थागत स्रोतों से लिए गए, जबकि 20.5 प्रतिशत कर्ज पेशेवर सूदखोरों से लिए गए। इसके अनुसार कुल कर्ज में 57.5 प्रतिशत ऋण कृषि उद्देश्य से लिए गए।
 
सर्वे में कहा गया है कि कर्ज ले रखे कृषि परिवारों का प्रतिशत 50.2 प्रतिशत है। वहीं प्रति कृषि परिवार बकाया ऋण की औसत राशि 74,121 रुपए है। 
 
एनएसओ ने जनवरी-दिसंबर 2019 के दौरान देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार की भूमि और पशुधन के अलावा कृषि परिवारों की स्थिति का आकलन किया।
 
सर्वे के अनुसार कृषि वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) के दौरान प्रति कृषि परिवार की औसत मासिक आय 10,218 रुपए थी। इसमें से मजदूरी से प्राप्त प्रति परिवार औसत आय 4,063 रुपए, फसल उत्पादन से 3,798 रुपए, पशुपालन से 1,582 रुपए, गैर-कृषि व्यवसाय 641 रुपए तथा भूमि पट्टे से 134 रुपए की आय थी। 
 
इसमें कहा गया है कि देश में कृषि परिवार की संख्या 9.3 करोड़ अनुमानित है। इसमें अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) 45.8 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 15.9 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 14.2 प्रतिशत और अन्य 24.1 प्रतिशत हैं।
 
सर्वे के अनुसार गांवों में रहने वाले गैर-कृषि परिवार की संख्या 7.93 करोड़ अनुमानित है। इससे यह भी पता चला कि 83.5 प्रतिशत ग्रामीण परिवार के पास एक हेक्टेयर से कम जमीन है। जबकि केवल 0.2 प्रतिशत के पास 10 हेक्टेयर से अधिक जमीन थी।
 
इस बीच, एक अन्य रिपोर्ट में एनएसओ ने कहा कि 30 जून, 2018 की स्थिति के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज लेने वाले परिवार का प्रतिशत 35 था (40.3 प्रतिशत कृषक परिवार, 28.2 प्रतिशत गैर-कृषि परिवार) जबकि शहरी क्षेत्र में यह 22.4 प्रतिशत (27.5 प्रतिशत स्व-रोजगार से जुड़े परिवार, 20.6 प्रतिशत अन्य परिवार) थे।
 
एनएसओ ने राष्ट्रीय नमूना सर्वे (एनएसएस) के 77वें दौर के तहत अखिल भारतीय कर्ज और निवेश पर ताजा सर्वे जनवरी-दिसंबर, 2019 के दौरान किया।
 
सर्वे में यह भी पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज ले रखे परिवारों में से 17.8 प्रतिशत परिवार संस्थागत एजेंसियों से (जिनमें 21.2 प्रतिशत कृषक परिवार और 13.5 प्रतिशत गैर-कृषक परिवार) जबकि शहरी क्षेत्रों में 14.5 प्रतिशत परिवार संस्थागत कर्जदाताओं से (18 प्रतिशत स्व-रोजगार करने वाले तथा 13.3 प्रतिशत अन्य परिवार) कर्ज ले रखे थे।
 
इसके अलावा ग्रामीण भारत में करीब 10.2 प्रतिशत परिवारों ने गैर- संस्थागत एजेंसिंयों से कर्ज लिया जबकि शहरी भारत में यह संख्या 4.9 प्रतिशत परिवार थी। वहीं ग्रामीण भारत में सात प्रतिशत परिवार ऐसे थे जिन्होंने संस्थागत कर्ज और गैर-संस्थागत दोनों तरह से कर्ज लिया था जबकि शहरी क्षेत्र में ऐसे परिवारों की संख्या तीन प्रतिशत थी।
 

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