Gyanvapi case : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा अर्चना की अनुमति दिए जाने के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई पूरी कर गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया।
ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने वाराणसी की अदालत के 31 जनवरी के उस आदेश के खिलाफ यहां अपील की थी जिसमें हिंदुओं को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाना में पूजा अर्चना की अनुमति दी गई थी। पूजा की अनुमति मिलने के कुछ ही घंटों बाद से ही व्यास जी के तहखाने में पूजा शुरू हो गई।
क्या है मामला : साल 1991 में सोमनाथ व्यास ने ज्ञानवापी मस्जिद की जमीन पर अपना मालिकाना हक जताते हुए एक केस दर्ज कराया था। उन्होंने दावा किया था कि वह ज्ञानवापी परिसर के तहखाने में मौजूद मंदिर के पंडित थे और अदालत में उन्होंने भगवान विश्वेश्वर का सखा बन कर यह केस दर्ज कराया था।
उनका दावा था कि मस्जिद की जगह पहले मौजूद आदि विश्वेश्वर के जिस मंदिर को ध्वस्त किया गया था, उसका कुछ हिस्सा अभी भी मौजूद है और वो यही जगह है जिसे अब व्यास जी का तहखाना के नाम से जाना जाता है।
केस दर्ज कराते समय उन्होंने यह दावा भी किया था कि इस तहखाने में मौजूद मंदिर में हिन्दू समुदाय के लोग पूजा-पाठ करते हैं। इस जगह पर अपने कब्जे के तर्क के साथ उन्होंने पूरे ज्ञानवापी परिसर में अपने मालिकाना हक का दावा किया था। मार्च 2000 में पंडित सोमनाथ व्यास का निधन हो गया और उसके बाद वकील विजय शंकर रस्तोगी स्वयंभू भगवान आदि विश्वेश्वर के सखा बन कर मुकदमा लड़ते आ रहे हैं।