नई दिल्ली। चीन और पाकिस्तान की ओर से बढ़ती रक्षा चुनौतियों के बावजूद केंद्र सरकार ने रक्षा बजट में करीब 6 फीसदी बढ़ोतरी का ही प्रस्ताव रखा है। विदित हो कि पिछले कुछ बरसों में यह बढ़ोतरी 10 फीसदी के करीब रही है। बजट में सेनाओं के लोगों के लिए रेल टिकट ऑनलाइन करने के साथ पेंशनरों के लिए ऑनलाइन सिस्टम बनाने की बात कही गई है।
लेकिन चीन और पाकिस्तान के रक्षा व्यय को देखते हुए रक्षा व्यय कुल बजट खर्च का 12.77 फीसदी मात्र है। यह जीडीपी का मात्र 1.62 प्रतिशत हिस्सा है हालांकि समय-समय पर सरकार के शीर्ष मंत्री रक्षा बजट को 3 फीसदी तक करने की मंशा जाहिर करते हैं लेकिन हर वर्ष के बजट के साथ इसमें कमी आती है। सरकार के रक्षा खर्च में आई इस बड़ी कमी पर रक्षा विशेषज्ञों ने चिंता जताई है।
रक्षा के मद में 2,74,114.12 करोड़ रुपए दिए गए हैं जिसमें पेंशन की रकम शामिल नहीं है। पिछले साल के बजट अनुमान से यह रकम 6 फीसदी ज्यादा है, जबकि संशोधित अनुमान से 5.6 फीसदी ज्यादा है। नई खरीददारी के लिए 10 फीसदी राशि बढ़ाने का प्रस्ताव है। पिछले साल इस मद में 78,587 करोड़ रुपए रखे गए थे जबकि इस साल यह रकम 86,488 करोड़ रुपए है। प्राइवेट सेक्टर ने इस मद में रकम बढ़ोतरी का स्वागत किया है, क्योंकि डिफेंस प्रॉडक्शन में प्रॉजेक्ट्स में उनसे साझेदारी भी की जाएगी। लेकिन रक्षा व्यय की एक बड़ी समस्या है कि एक ओर जहां सरकार कई बड़ी रक्षा खरीददारियों की बात करती है, वहीं पिछले साल के आवंटन में से 6,886 करोड़ रुपए की राशि के कथित तौर पर खर्च नहीं हो पाने की भी खबर है।
पेंशन का बढ़ता बोझ : सरकार ने पेंशन की मद में 85,740 करोड़ रुपए दिए हैं, जो पिछले वित्त वर्ष से 4.13 फीसदी ज्यादा हैं। वित्तमंत्री ने डिफेंस पेंशनरों के लिए पेंशन बंटवारे का वेब आधारित इंटरएक्टिव सिस्टम बनाने की बात कही है। इस सिस्टम में पेंशन के प्रस्तावों को लेने और पेमेंट करने का काम केंद्रीकृत ढंग से किया जाएगा। इसी तरह से सेंट्रलाइज्ड डिफेंस ट्रैवल सिस्टम का विकास किया गया है ताकि सैनिक और अफसर भी रेल टिकट की ऑनलाइन बुकिंग करा सकें ताकि उन्हें रेलवे वॉरंट लेकर लाइन में न खड़े रहना पड़े।