दिल्ली हाईकोर्ट उत्तर पूर्वी दिल्ली में 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों की कथित तौर पर साजिश रचने के आरोप में गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करेगा।
मामले में अन्य सह-आरोपियों- छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम और गुलफिशा फातिमा, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के संस्थापक खालिद सैफी और अन्य, की जमानत याचिकाएं भी न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शलिंदर कौर की पीठ के समक्ष नए सिरे से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई हैं।
इससे पहले यह मामला न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध थी, लेकिन हाल ही में उनका तबादला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के रूप में हो गया है।
उमर खालिद, शरजील इमाम और कई अन्य लोगों पर फरवरी 2020 के दंगों के कथित तौर पर मास्टरमाइंड होने के लिए यूएपीए और भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। उक्त दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के विरोध के दौरान हिंसा भड़क गई थी।
दिल्ली पुलिस ने खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया था। उसने 28 मई को निचली अदालत द्वारा जमानत अर्जी खारिज किए जाने के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने जुलाई में इस मामले में नोटिस जारी किया। (भाषा)